दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात की चौतरफा खिंचाई के बीच बद्रीनाथ से भाजपा विधायक ने अपने फेसबुक पर एक पोस्ट किया है।
भाजपा विधायक महेंद्र भट्ट ने लोगों का आह्वान करते मुस्लिम समुदाय पर हमला बोलते हुए कहा कि अब उनसे खतरा बढ़ गया है और उन्होंने पूरे उत्तराखंड के लोगों से निवेदन किया कि,” नजीबाबाद से आने वाली सब्जियों को न खरीदें। दूसरा किस दुकान से सब्जी खरीद रहे हैं, वह किसकी दुकान है यह भी देखें।”
माननीय विधायक की पोस्ट
अपरोक्ष रूप से उनका यह कहना है कि वह किसी मुसलमान की दुकान में न जाएं। वह लिखते हैं, -“नाई की दुकान, मोची की दुकान पर जाने से पहले सोच कर जाए देखें कि कोरोना तो नहीं है।”
जाहिर है कि इस तरह की दुकानें आमतौर पर मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा ही संचालित की जाती हैं।
महेंद्र भट्ट की इस टिप्पणी के बाद हिंदू मतावलंबियों ने नस्लीय और धार्मिक विद्वेष की लगभग डेढ़ सौ से भी अधिक टिप्पणियां इस पोस्ट पर की हैं।
भाजपा विधायक द्वारा की गई यह पोस्ट धार्मिक विद्वेष और सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने वाली है।
पूरे भारत की तरह उत्तराखंड भी सांप्रदायिक सद्भावना वाला क्षेत्र है। जहां मुस्लिम चौधरी शताब्दी से भी पहले से निवास करते हैं तथा रामलीला खेलने से लेकर राम रावण के मुखोटे बनाने से लेकर अन्य धार्मिक क्रियाकलापों में और सामाजिक खेती-बाड़ी के कार्यों में भी शरीक होते रहे हैं। विधायक की या टिप्पणी सामाजिक विद्वेष को भड़काने वाली है।
एक विधायक पूरी जनता का जनप्रतिनिधि होता है और जिस तरह से विधायक महेंद्र भट्ट ने इस टिप्पणी में पूरे उत्तराखंड को संबोधित किया है वह धार्मिक वैमनस्यता को बढ़ाने वाली हरकत है।
यह देखने वाली बात होगी कि माननीय विधायक की इस पोस्ट पर गृह, पुलिस विभाग क्या कार्यवाही करता है और उत्तराखंड सरकार के माननीय मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का इस पर क्या रुख रहता है !
वैसे अभी तक उत्तराखंड को अपने गुप्तांग पर रखने वाले बयान देने वाले विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन फिर से मुख्यमंत्री के बगल गीर हो गए हैं, तो साफ समझा जा सकता है कि उत्तराखंड में भारतीय जनता पार्टी के मुखिया को उत्तराखंड राज्य तथा यहां पर रहने वाले सभी धार्मिक विश्वासों वाले लोगों से कितना सरोकार है। यदि महेंद्र भट्ट के इस बयान पर भारतीय जनता पार्टी तथा सरकार के मुख्य त्रिवेंद्र सिंह रावत दोनों खामोशी ओढ़ लेते हैं और कोई कार्यवाही नहीं करते हैं तो इसका सीधा सीधा सा मतलब यही होगा कि भाजपा सरकार भी यही सोचती है कि उत्तराखंड अब सिर्फ हिंदुओं के लिए ही ही है और अब मुस्लिमों को उत्तराखंड से चले जाना चाहिए।