नगर पंचायत पोखरी चमोली के अध्यक्ष लक्ष्मी प्रसाद ने सरकारी जमीन कब्जा कर उस पर कई कमरों दुमंजिला का मकान बना रखा है, लेकिन सरकार आंखें मूंदकर भ्रष्टाचार को टॉपअप कर रही है। जबकि हाईकोर्ट ने इस प्रकरण में कार्यवाही न करने पर कंटेंप्ट का भी नोटिस जारी कर दिया है।
वहीं दूसरी तरफ मसूरी के एक पार्षद ने भी जमीन कब्जाई तो उसे कुर्सी से हटा दिया गया। आखिर यह जीरो टोलरेंस का कौन सा पैमाना है कि भाजपाई जमीन कब्जाए तो उसकी हौसला अफजाई की जाती है। यह हालत तब है, जबकि नगर निकाय एक्ट में साफ लिखा है कि यदि निकाय का कोई व्यक्ति सरकारी जमीन कब्जाता है तो उसे पद से हटा दिया जाएगा
गौरतलब है कि नगर पंचायत पोखरी के लक्ष्मी प्रसाद ने सरकारी जमीन कब्जा कर उस पर 5 कमरों का भवन बना रखा है। पोखरी के तहसीलदार राधाकृष्ण सुयाल की जांच रिपोर्ट में भी यह जिक्र किया गया है।
इसकी जानकारी राज्य निर्वाचन आयोग से लेकर शहरी विकास विभाग और जिलाधिकारी चमोली सभी को है और सभी ने यह कब्जा हटाने के लिए आदेशित किया हुआ है। यहां तक कि हाईकोर्ट ने भी एक याचिका का संज्ञान लेते हुए अपने आदेश में इस बात का जिक्र किया है कि सब कुछ जानते हुए भी राज्य सरकार इस मामले के ऊपर जमकर बैठी हुई है।
हाई कोर्ट ने इस मामले में कार्यवाही करने के निर्देश सरकार को दिए थे लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई है।
मसूरी की कब्जादार पार्षद को हटाया
वहीं दूसरी ओर शहरी विकास विभाग उत्तराखंड ने नगर पालिका परिषद मसूरी के वार्ड नंबर 8 की पार्षद गीता कुमाईं को अवैध अतिक्रमण के मामले में सभासद के पद से हटा दिया था।
शहरी विकास विभाग के सचिव ने 12 जुलाई 2019 को इस प्रकरण में जिला अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा था। इसके बावजूद शासन द्वारा दो बार कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने के बावजूद न तो नगर पंचायत अध्यक्ष लक्ष्मी प्रसाद ने अपना कोई स्पष्टीकरण शहरी विकास विभाग को प्राप्त कराया है और न ही सरकार ने इस मामले में कोई कार्यवाही की है।
जमीन कब्जाने की यह शिकायत चमोली के जगदीश प्रसाद ने शासन तथा हाईकोर्ट में की थी।
जगदीश प्रसाद का कहना है कि सरकार और शहरी विकास विभाग इस मामले में भेदभाव कर रहा है। जगदीश प्रसाद सरकार द्वारा भ्रष्टाचार को संरक्षण के खिलाफ फिर से हाईकोर्ट की शरण में जाने की बात कह रहे हैं।