सीएम साहब ! जिसकी मेहनत की वाहवाही आपने लूटी अब जरा उसके हाल भी पूछ लेना प्लीज
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पिछले दिनों बागेश्वर कांडा के जिस 24 वर्षीय पवन के सैलून खोलने पर ट्वीट किया था कि वह आज के स्वरोजगार की प्रेरणा स्रोत हैं, वह पवन अपने सपनों के परवान चढ़ने से पहले ही दुकान बंद करके घर बैठ गया है।
देखिए वीडियो : सीएम के ट्वीट वाले सैलून ब्वाय का दर्दे दिल
दो जून की रोटी जुटाने के लिए भी असमर्थ पवन ने जब दुकान खोली तो उत्तराखंड में रोजगार देने में असमर्थ सरकार को अपनी पीठ थपथपाने का मौका मिल गया, और उसे स्वरोजगार का मार्गदर्शक बताते हुए ट्वीट कर दिया।
मीडिया में खबरें प्लांट करा दी गई और भेड़ चाल में जीने वाली लॉकडाउन के खौफ में आंखें मिचकाने वाली जनता ने एक बार फिर से आस्वस्ति में आंखें बंद कर ली कि अब सब ठीक हो जाएगा। लेकिन उत्तराखंड के दो छिद्रान्वेषी पत्रकारों ने एक बार फिर खुद से ही पवन के हाल-चाल जानने चाहे।
पत्रकार उमेश ने पूछा हाल। मदद भी की
पत्रकार उमेश कुमार ने पवन को बधाई दी तो बातों ही बातों में पता चला कि उसने तो यह नाई की दुकान बेहद मजबूरी में शुरू की है, क्योंकि उसके पांव में बेहद दर्द है और वह खड़ा भी नहीं हो सकता।
उमेश कुमार ने पवन को कुछ पैसे दिए और डॉक्टर के पास जाकर एक्स-रे और दवाई का प्रबंध करने को कहा पर्वतजन के बागेश्वर के पत्रकार राजू परिहार ने भी पवन का हाल चाल पूछा और आवश्यक मदद करने का आश्वासन दिया।
पर्वतजन में इसको लेकर भी एक खबर प्रकाशित हुई थी। खबर प्रकाशित होते ही शुरू हो गया मीडिया में डैमेज कंट्रोल का सिलसिला। पवन को हाईजैक करने का पूरा प्रशासनिक प्रोपेगेंडा शुरू हो गया।
प्रवासी तो दूर हल्द्वानी से आगे नही गया कभी पवन
पवन को समाज कल्याण अधिकारी से लेकर स्थानीय एसडीएम और पुलिस प्रशासन ने ताबड़तोड़ अप्रोच करना शुरू कर दिया।
यह युवक कभी भी दिल्ली तो क्या हल्द्वानी से भी आगे नहीं गया होगा लेकिन सीएम साहब ने इसे दिल्ली से लौटा हुआ प्रवासी बता डाला। जब पर्वतजन ने इसकी पोल खोली तो बाकायदा पुलिस युवक के घर पहुंच कर सच दिखाने वालों पर ही मुकदमा दर्ज कराने का दबाव डालने लगी।
पुलिस किसके कहने पर उकसा रही थी पवन को !
पुलिस ने बाकायदा पवन को उकसाया कि कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री के लिए इस प्रकरण में अनर्गल बयानबाजी की है, इसलिए उनके खिलाफ मुकदमा लिखवा ले, लेकिन पवन मुकदमा लिखाने के लिए राजी नहीं है।
पुलिस के दबाव में पवन और उनका परिवार इतना आतंकित हो गया कि उस दिन उन्होंने अन्न का एक दाना भी नहीं खाया और भूखे ही सो गए। पुलिस के इस तरह से व्यवहार करने पर पवन और उसके बुड्ढे मां-बाप बेहद डर गए। पवन कहता है कि वह और उसके मां-बाप तीनों काफी देर तक इसके कारण रोते ही रहे और भूखे ही सो गए तथा सारा खाना उस दिन बर्बाद हो गया।
पवन कहता है कि उस दिन जब पुलिस आई तो मदद करने वाले भी दूर से ही खड़े हो कर देख रहे थे और वे लोग इतना डर गए थे कि उन्होंने अन्न का एक दाना भी मुंह में नहीं रखा।
लोन लेने से किया मना
पवन ने पर्वतजन से कहा कि उन्हें एसडीएम ने बुलाया और लोन लेने के लिए कहा लेकिन बैंकों की कारगुजारी और कमीशन खोरी से भलीभांति वाकिफ उनके पिता ने उन्हें लोन लेने के लिए मना किया हुआ था। वृद्धावस्था पेंशन पर गुजारा कर रहे इस परिवार की दयनीय हालत के बावजूद पिता की नसीहत का बेटे पवन ने बखूबी पालन किया और किसी भी तरह का लोन लेने से मना कर दिया।
अब कोई पवन को नही पूछता
पांव मे भी दिक्कत थी ही। इन सब के चलते पवन ने अपनी दुकान समेटी और घर आ गया
दो दिन पहले लोग पवन के साथ सेल्फी खिंचवा रहे थे, देहरादून और बागेश्वर से लेकर तमाम जगह से उसके पास फोन आ रहे थे लेकिन अब देहरादून के तमाम बड़े चेहरों मे से कोई भी पवन को यह नहीं पूछ रहा कि अब वह किस हाल में है !