कोरोना से किस तरह बचा जा सकता है, यह राज्य के मुख्यमंत्री जी से सीखना चाहिए। उन्होंने खुद को चारदीवारी के भीतर रखकर संदेश दिया है कि प्रदेश की जनता भी इसी तरह घर के अंदर रहे। वे मोदी जी के आदेशों का अक्षरशः से पालन कर रहे हैं। उन्होंने लक्ष्मणरेखा नहीं लांघी।
सीएम ने किया लॉकडाउन का उल्लंघन:
हेलिकॉप्टर से उड़कर २ मंत्रियों के साथ पहुँचे शोक संवेदना प्रकट करने नैनीताल पहुँच गए ..।
एक तरफ़ एक बच्ची की मौत में बाप नहीं पहुँच पाता, एक माँ की मौत में बेटा नहीं जा पाता… बाप के आत्महत्या करने पर बेटा नहीं पहुँच पाया, जनता में त्राहिमाम है..लोग राज्य में ही ज़िलों में अटके पड़े है …लॉकडाउन के दौरान मुख्यमंत्री ने कोरोना को लेकर एक भी मण्डल का दौरा नहीं किया और ना ही किसी ज़िले का … देश के प्रधानमंत्री के आदेशों को भी ताक पर रख दिया ..।
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आज मुख्यमंत्री जी ने लक्ष्मण रेखा को लांघा। आज वह विधायक पुष्कर सिंह धामी जिनके पिताजी का कुछ दिन पूर्व निधन हो गया था उन्हें सांत्वना देने खटीमा (उधम सिंह नगर) गए । उसके बाद वे उत्तराखंड के आरएसएस के प्रांत प्रचारक रहे डॉ हरीश सिंह रौतेला को सांत्वना देने गए, हाल ही में उनके पिता का निधन हो गया था। हरीश सिंह रौतेला का गांव नैनीताल जिले के ओखलकांडा में है। उनके साथ उत्तराखंड सरकार के मंत्री धन सिंह रावत और मदन कौशिक भी थे।
ऐसी महामारी और विपदा के समय सरकार का उड़न खटोला और मंत्रियों की फौज क्या सांत्वना देने के लिए चुजनी गई है या इनकी नैतिक जिम्मेदारी भी है यह सवाल जनता के मन मे है। राज्य निरंतर आर्थिक रूप से कमजोर होता जा रहा है । सरकार के पास वेतन बांटने के लाले पड़ने वाले हैं। किंतु ठाटबाट और ठसक से समझौता न करने वाली सोच जनता को मुंह चढ़ा कर कहती है कि तुम्हें जो करना है कर लो हम ऐश करने का भाग्य लेकर आए है। ना हम खुद रचनात्मक करेंगे और ना किसी से सीखेंगे।
जहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री दिन-रात ताबड़तोड़ बैठकर हर घटना पर एक्शन लेते हुए दिख रहे हैं। जबरदस्त मॉनिटरिंग कर रहे हैं। एक-एक घटना पर उनकी पैनी नजर है। उनके हर एक एक्शन पर देश की नजर है। वह घर से निकलकर हेलीकॉप्टर में उड़ते भी हैं तो जनता के लिये, प्रशासन को कसते हैं, गौतम बुध नगर के शिथिल डीएम को हटाते हैं। वह किसी ढिलाई से समझौता नहीं कर रहे हैं। योगी खुद जनता किचन का दौरा करके साफ-सफाई और भोजन की गुणवत्ता चेक करते हैं। शासन प्रशासन को पूरे प्रदेश में दहशत है कि वे कब-कहां पहुंचकर निरीक्षण कर ले, किंतु उत्तराखंड के साथ अगर योगी की तुलना करें तो जमीन आसमान का अंतर आएगा।
इसे सौभाग्य माना जाए कि उत्तराखंड में कोरोना का प्रकोप अन्य राज्यों के मुकाबले कम है और इसका श्रेय किसी शासन प्रशासन या प्रबंधन को नहीं दिया जा सकता है। उत्तराखंड का प्रशासन इंतजार करता है कि उत्तर प्रदेश किस तरह के आदेश जारी कर रहा है या पड़ोसी हिमाचल कोरोना से कैसे लड़ रहा है। बेहतर होता कि लॉकडाउन तोड़ने वाले, कोरोना वॉरियर्स के साथ अभद्रता करने वाले तत्वों से निपटने में उत्तराखंड सरकार पूरे देश में संदेश देती या कोरोना से निपटने का कोई मॉडल प्रस्तुत करती। केवल पुलिस के जिम्मे कोरोना की लड़ाई सड़क पर लड़ी जा रही है और अस्पतालों में मेडिकल और पैरामेडिकल स्टाफ जूझ रहा है।
आम जनता के द्वारा जो राहत सामग्री दी जा रही है सरकार के पास उनको प्रोत्साहित करने का भी समय नहीं है। इसलिए प्रदेश की जनता समझ चुकी है कि उसे कोरोना से लड़ाई लड़ने में खुद ही सजग रहना होगा। सभी लोग टीवी पर योगी के एक्शन देख रहे हैं और सोशल मीडिया पर योगी की तारीफ कर रहे हैं। आप सब लोग भी खुलकर सोशल मीडिया पर योगी की तारीफ कीजिए अच्छे काम की तारीफ होनी चाहिए।