<उत्तराखंड, ऊ.सि.नगर
किच्छा – दिलीप अरोरा
मौजूदा वक़्त कोरोना महामारी का है इस पर जहां राज्य सरकारे राज्य और केंद्र सरकार देश और लोगो के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रही है तो वही ऐसे मे बहुत से लोग लोगो की मजबूरी का भी जमकर फायदा उठा रहे और आवश्यक वस्तुओ की कालाबाजारी करते नजर आते है लेकिन इनको रोकने के लिए भी प्रशासन द्वारा कड़े कदम उठाये गए है और ऐसे लोगो पर कार्यवाही भी हो रही है।
दूसरी तरफ प्रशासन और शासन लोगो से लगातार कोविड के नियमों का पालन करने का भी आग्रह कर रहे है हलांकि वैक्सीन मौजूद है पर फिर भी हमारे प्रधान मंत्री दवाई भी कढ़ाई भी जैसी महत्वपूर्ण बातो को जरुरी बताते है।
बावजूद इसके कुछ नेता पब्लिसिटी पाने के लिए लगातार मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग जैसी महत्वपूर्ण बातो को लगातार नजरअंदाज करते दिख जाते है जो मौजूदा हालात को देखते हुए बिलकुल भी सही नहीं है।
हैरानी की बात यह है कि, आखिर प्रशासन ऐसे नेताओं और गणमान्य लोगों पर कार्यवाही क्यों नहीं करता। क्योंकि नेताओं को बहुत से लोग फॉलो करते है कही न कही यह नेता समाज का भी मार्गदर्शन करने का कार्य करते है।
यदि ऐसे गणमान्य नेता ही नियमों की धज्जियाँ उड़ाएंगे तो समाज मे आम जनता को क्या सन्देश जायेगा कही न कही यह तो प्रशासन के जागरूकता अभियान को भी पालिता लगता नजर आ रहा है।
ऐसा ही एक वाक्य आज फिर किच्छा विधान सभा मे देखने को मिला जहां कांग्रेस के नेताओं जिनमे नगर कार्यकारिणी के साथ साथ प्रदेश का पद रखने वाले नेताओं की मौजूदगी में कांग्रेस के अन्य नेता जी ने लोगों को सेनेटाइजर और ऑक्सीमीटर बांटने के समय बिल्कुल भी सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान नहीं रखा।या यूँ कहें की सोशल डिस्टेंसिंग का नियम ही गुल दिखा।
बात यह नहीं है कि, कांग्रेस के नेता सेनेटाइजर और ऑक्सीमीटर बाँट रहे है। यह अच्छी बात है पर नियमों की अनदेखी करना यह कहा की उचित बात है और ना केवल उन्होने नियमों की धज्जियाँ उड़ाई बल्कि बहुत ही खूबसूरती के साथ फोटो खिचवाने मे इतने मस्त नजर आये की वह सोशल डिस्टेंसिंग को ही भूल गए।
समाज में पब्लिसिटी पाने के लिए इस काम की प्रशंसा बटोरने के लिए इन फोटो को सोशल मीडिया में अपलोड तक कर गए बिना यह सोचे की इस बात का समाज पर क्या प्राभाव पड़ेगा।अब प्रभाव का तो यह लोग ही जाने। पर ऐसे मे कही न कही प्रशासन का ख़ुफ़िया तंत्र भी फेल दीखता नजर आ रहा है कि जिसको ऐसे कार्यक्रमों की जानकारी तक नहीं होती। और ऐसे नेता इस प्रकार के पब्लिक्सीटी स्टंट से नियमों की धज्जियाँ उड़ाकर फोटो खिचवाकर चले जाते है।
अब देखना होगा कि, शासन और प्रशासन ऐसे नेताओं पर क्या कार्यवाही करता है। या सिर्फ आम जनता तक ही यह क़ानून को सिमित रखता है क्योंकि यदि आम जनता पर नियमों की अनदेखी पर कार्यवाही बनती है तो फिर ऐसे नेताओं पर क्यों नहीं।