दिल्ली अपोलो अस्पताल जिस शख्स की कोरोनावायरस सैंपल की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, उस व्यक्ति की रिपोर्ट ऋषिकेश के एम्स अस्पताल में दोबारा से सैंपल लिए जाने पर नेगेटिव आई है।
गौरतलब है कि 30 तारीख को अपोलो अस्पताल में इस व्यक्ति को कोरोना पॉजिटिव बताया था, जबकि 3 तारीख मई को देहरादून लौटने पर जब एम्स में दोबारा से सैंपल लिए गए तो फिर यह रिपोर्ट नेगेटिव आई है।
दिल्ली वाली रिपोर्ट का संज्ञान लेने के बाद उत्तराखंड सरकार ने चमन विहार की गली को सील कर दिया था तथा पटेल नगर स्थित महंत इंद्रेश अस्पताल के 23 कर्मचारियों को क्वॉरेंटाइन में भेज दिया था।
हालांकि अब यह रिपोर्ट इंद्रेश अस्पताल के कर्मचारियों सहित चमन बिहार वासियों के लिए भी सुकून दायक खबर है।
अब एक तरफ अपोलो अस्पताल जैसे दिग्गज अस्पताल की विशेषज्ञता पर सवाल खड़े हो रहे हैं वहीं उत्तराखंड सरकार पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
आखिर किस रिपोर्ट पर विश्वास किया जाए !
दिल्ली की रिपोर्ट पर या फिर उत्तराखंड में एम्स की रिपोर्ट पर !
कहीं ऐसा ना हो कि कोरोना पर ऐसी डबल रिपोर्टिंग कुछ नुकसान करा बैठे!
पर्वतजन के सूत्रों के अनुसार यह रिपोर्ट कल ही आ गई थी किंतु अभी तक उत्तराखंड सरकार के मेडिकल बुलेटिन ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया है।
एक सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि रिपोर्ट आने तक एक परिवार विशेष को क्वारंटाइन करने के बजाय पूरी गली को ही क्यों सील कर दिया गया !
यह उतावली कहां तक उचित थी और यह रिपोर्ट अभी तक उत्तराखंड सरकार ने अपने मेडिकल बुलेटिन में कल से अभी तक सार्वजनिक क्यों नहीं की है !
सवाल यह है कि कल एम्स में पौड़ी निवासी एक मरीज की तीमारदार को भी कोरोना संक्रमण पाजिटिव हुआ था किंतु उसकी रिपोर्ट भी अभी तक उत्तराखंड मेडिकल बुलेटिन द्वारा सार्वजनिक नहीं की गई है। आखिर रिपोर्ट को सार्वजनिक करने में इतनी लेट लतीफी के पीछे कारण क्या है !