दानवीरों पर टिकी हैं उम्मीदें। सरकारी खाद्यान्न आखिर कब पहुंचेगा सभी जरूरतमंदों तक

सतपाल धानिया/विकासनगर

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने गरीब और मजदूर तबके की कमर तोड़कर रख दी। जो लोग रोज ईमानदारी और मेहनत की कमाकर खाते थे, वो आज भिखारियों की तरह लाइन में लगकर पेट भर रहे हैं। जो कभी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाते थे, वो आज मोहताज हो गए हैं। जिन गरीब मजदूरों की मेहनत और संघर्ष से बहुत बड़ी इमारतें पावर हाउस सड़कें बनायी जाती रही है और उनकी वजह से बहुत बड़ा तबका धनाढ्य हो गया। जिन गरीब मजदूरों के वोट से सरकार बनती है और उस सरकार से वो मुफलिसी में मदद की उम्मीद करते हैं वो मदद आखिर मिलेगी। कब तक इन मेहनतकश लोगों को भिखारियों और अपाहिजों की तरह दो मुट्ठी राशन के लिए लाइनों में लगना पड़ेगा। जिस सरकारी सहायता क़ा ढिंढोरा पीटा जा रहा है, जिस सरकारी खाद्यान्न की बात की जा रही है, आखिर कब वो जरूरतमंदों तक पहुंचेगा। क्या जनता कर्फ्यू लॉकडाउन और तमाम रोजगार इसलिए बंद कर दिए गए कि इन बेसहारा मजदूरों और गरीबों क़ा पेट समाजसेवी और पुलिस भरेंगे कई घरों में बीमार लोग हैं, जिन्हें हर रोज दवाइयों की आवश्यकता होती है।

ऐसे परिवार बड़ी मुश्किल से अपना गुजारा कर रहे हैं, उन्हें दवाइयों के लिए आस पड़ोस में हाथ फैलाने को मजबूर होना पड़ रहा है। हालांकि सरकार दावे तो बहुत कर रही है, लेकिन धरातल पर हालात कुछ और ही है, जबकि कुछ लोगों के खातों में हर महीने केन्द्र सरकार ने पांच सौ डलवाने शुरू किये हैं। यह पांच सौ रुपए भी उन्हीं परिवारों को मिलेंगे, जिनका जनधन खाता होगा। ऐसे में बहुत बड़ी आबादी क्षेत्र में ऐसी है जो काम की तलाश में अपना घर परिवार छोड़कर यहां आये हुए हैं। सबसे कठिन दौर से वो ही लोग गुजर रहे हैं। हालांकि पुलिस प्रशासन संपन्न लोगों द्बारा दिया जा रहा राशन व समाजसेवियों द्बारा किये जा रहे सहयोग के बूते ऐसे परिवारों को थाना चौकी में बुलाकर राशन मुहैया तो करा रही है, लेकिन जो उम्मीद सरकार से की गयी थी, वो देखने को नहीं मिल पा रही है।

सेलाकुई ओध्यौगिक क्षेत्र में तालीम नामक समाजसेवी ने जरूरतमंद लोगों के लिए खाने की व्यवस्था की हुयी है, जहां रोजाना सैकड़ों मजदूर परिवार लाइनों में लगकर अपनी भूख मिटा रहे हैं।

वहीं शिव मंदिर सेलाकुई समिति सेलाकुई द्बारा कई दिनों से लोगों के लिए मंदिर प्रांगण में खाने की व्यवस्था अपने स्तर पर की गयी है, जिससे बहुत मजदूर और गरीब परिवार लाभान्वित हो रहे हैं।

तो वहीं समाजसेविका लक्ष्मी अग्रवाल रोज सुबह अपनी गाड़ियों में राशन भरकर गरीबो की झुग्गी झोपड़ियों में पहुंच जाती है और खाना पकाकर राह चलते भूखे प्यासों को खिला रही हैं।

समाजसेवी विनोद चौहान भी सैकड़ों परिवारों को राशन मुहैया करवा चुके हैं और हर उस जरूरतमंद लोगों की सेवा कर रहे हैं, जो कभी मेहनत मजदूरी कर अपना पेट पालते, लेकिन लॉकडाउन की वजह से असहाय हो चुके हैं।

तो वहीं व्यापार मंडल हर्बर्टपुर भी प्रतिदिन सैकड़ों लोगों को अपने खर्च पर खाना खिला रहा है। हर्बर्टपुर की धर्मशालाओं में सैकड़ो बाहरी राज्यों के मजदूर फंसे हुए हैं, उनके खाने की जिम्मेदारी व्यापार मंडल हर्बर्टपुर उठा रहा है।


हर गांव में समाजसेवी और जिम्मेदार लोग मदद करते हुए देखे जा रहे हैं तो वहीं पुलिस विभाग ने भी ऐसे लोगों तक राहत पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी हुयी है। पुलिस अपने स्तर पर खाद्य सामग्री की व्यवस्था कर जरूरतमंदों तक पहुंचा रही है। अब सवाल खड़ा यह होता है कि सरकारी खजाना आम जनता के लिए कब खोला जाऐगा या अभी सरकार समाजसेवियों दानवीरों के भरोसे ही बैैठी रहेगी, यह देखने वाली बात होगी।

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