प्रधानमंत्री से शराब फैक्ट्रियां बंद कराने का अल्टीमेटम
देहरादून। उत्तराखण्ड के पावन स्थलों मंे शराब फैक्ट्रियां खोले जाने को लेकर अब डबल इंजन सरकार राज्य में घिरती नजर आ रही है। इसी के चलते आज धर्मनगरी हरिद्वार मंे साधु संतों व शराब विरोधी संस्था ने सड़कों पर उतर कर जमकर नारेबाजी की और आरोप लगाया कि त्रिवेन्द्र सरकार माफियाओं के साथ गठजोड़ कर राज्य की मूल अवधाराणा के विपरीत आंदोलनकारी मातृशक्ति द्वारा संचालित सात दशकों से चले आ रहे शराब विरोधी आंदोलन को कुंद करने के उद्देश्य से स्थानीय जनता को धोखे में रखकर शराब कारखाने के लिए पहले जमीन का अधिकरण गत्ता फैक्ट्री के नाम पर करने के बाद बॉटिलंग प्लांट अथवा मिनरल वॉटर के लिए चिन्हित करने के बाद शराब फैक्ट्री की एसेंबलिंग का कार्य किया जा रहा है। प्रधानमंत्री से उत्तराखण्ड सरकार की शिकायत करते हुए अल्टीमेटम दिया गया है कि इन शराब फैक्ट्रियों के विरोध में 18 अगस्त को एक दिवसीय उपवास रखा जाएगा और अगर सरकार अपने जनविरोधी फैसले पीछे नहीं हटी तो प्रत्येक जनपद में शराब विरोधी आंदोलन संचालित किया जाएगा।
आज सुबह देवभूमि सिविल सोसायटी के नेतृत्व में संत समाज ने सड़कों पर रैली निकाली और सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय में पंहुचे जहां उन्होंने प्रशासनिक अधिकारी को प्रधानमंत्री के नाम एक शिकायती पत्र सौंपा, जिसमें सरकार पर शराब माफियाओं के साथ गठजोड़ का आरोप लगाया गया। प्रधानमंत्री को अवगत कराया गया कि ग्राम डडूवा, तहसील देवप्रयाग की जो शराब कारखाने के लिए चिन्हित की गई है वह जल स्रोत का मुख्य स्थल है जिसमें शराब फैक्ट्री से प्रदूषित ड्रेनेज वाटर सीधा प्राकृतिक गदेरे में समायोजित होकर कीर्तिनगर के समीप अलकनंदा में प्रविष्ट हो जाएगा, जिससे भारत सरकार की नमामि गंगे योजना को पलीता स्वभाविक है। गंगा के मूल उद्गम से ही अगर गंगा दूषित होगी तो भारत सरकार की नमामि गंगे योजना का सफल होना राज्य सरकार के माफिया स्वरूप के कारण संभव नहीं है। पत्र में कहा गया कि राज्य सरकार द्वारा गंगा के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु गैर नियोजित कार्य ठेकेदारों के माध्यम से संचालित कर करोड़ों रुपए बर्बाद किए जा रहे है। प्रधानमंत्री को संस्था द्वारा यह भी अवगत कराया गया कि 4-5 अगस्त को एसडीएम कार्यालय कीर्तिनगर में दो दिवसीय उपवास शराब फैक्ट्री के विरूद्ध मातृशक्ति, संत समुदाय एवं आंदोलनकारियों के साथ संचालित किया गया था। इसमे यह विषय प्रकाश में आया कि देवभूमि हिमालय क्षेत्र में तीन अन्य शराब फैक्ट्रियों की अनुमति प्रदान की गई है, जिसमें सतपुली, जनपद पौड़ी गढ़वाल में शराब फैक्ट्री के लिए भूमि का चिन्हिकरण किया गया व दो फैक्ट्रियां भी हिदुओं के चुंबकीय शक्तिपीठों मंदिरों के नजदीक और नदियों के किनारे की सभ्यता को दूषित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा पहल की जा रही है।
प्रधानमंत्री को अवगत कराया गया कि उत्तराखण्ड राज्य लंबे संघर्षशील आंदोलन, मातृशक्ति एवं आंदोलनकारियों की शहादत के बल पर प्राप्त राज्य है। यहां की संस्कृति, संस्कार, पर्यावरण, नदियां, गाड गदेरे एवं सरोवरों को दूषित करने की पहल राज्य सरकार द्वारा माफिया, नौकरशाह एवं नेताओं के संयुक्त गठबंधन से राज्य की मूल अवधारणा के विपरीत देवभूमि हिमालय राज्य में शराब के कारोबार के लिए फैक्ट्रियों का निर्माण किया जा रहा है जिसका उत्तराखण्ड के साधु संत, मातृशक्ति एवं आंदोलनकारी सात दशकों से संचालित शराब विरोधी आंदोलन को धूमिल करने एवं माफियाओं को उत्तराखण्ड की पवित्र भूमि पर शराब फैक्ट्रियां खोलने का पूर्ण रूप से विरोध किया जा रहा है।
संगठन ने आरोप लगाते हुए कहा है कि जिस प्रकार से राज्य सरकार शराब को घर-घर पंहुचाने का काम कर रही है उससे राज्य की युवा पीढ़ी आज नशे के पूर्ण चंगुल में फंस गई है। उत्तराखण्ड हिमालय क्षेत्र से यहां के नौजवान लगातार भारतीय सेना में चयनित होते आ रहे है, अगर इस राज्य का बचपन शराब व अन्य नशे में संलिप्त हो जाएगा वह चिंता का विषय है। संस्था ने प्रधानमंत्री को अवगत कराया कि राज्य सरकार द्वारा जिस प्रकार से उत्तराखण्ड में लगातार शराब फैक्ट्रियां खोलने की नीति बनाई गई है उसके विरोध में आगामी 18 अगस्त को भागीरथी-अलकनंदा के संगम स्थल देवप्रयाग में एक दिवसीय उपवास, सतपुली पौड़ी जनपद में किया जाएगा। यदि सरकार अपने जनविरोधी फैसले से पीछे नहीं हटी तो प्रत्येक जनपद में शराब विरोधी आंदोलन संचालित किया जाएगा। प्रधानमंत्री से अनुरोध किया गया है कि पवित्र देवभूमि हिमालय जो गंगा, जमुना जैसी पवित्र नदियांें का उद्गम स्थल है और ऋषि मुनियों की तपोभूमि है, ऐसे राज्य की निर्वाचित सरकार राज्यवासियों की मूल अवधारना के विपरीत जिस प्रकार से राज्य में चार शराब फैक्ट्रियों की अनुमति प्रदान कर चुकी है, उसपर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए। शराब फैक्ट्रियों के विरोध में रैली निकालने वालों में स्वामी विनोद महाराज, पंडित अधीर कौशिक, पंडित पवन कृष्ण शास्त्री, पंडित विष्णु, जे0पी0 बढ़ोनी, अश्वनी सैनी, स्वामी प्रकाशानंद आदि शामिल रहे।