देहरादून। गाँधी हॉस्पिटल ही भेजा था,पहाड़ तो नहीं,मानो कि पहाड़ ही टूट गया। देखिए कैसे राजधानी देहरादून के कोरोनेशन हॉस्पिटल के एमर्जेंसी में काम करने वाले 4 डॉक्टर्स डॉ. ऋषभ,डॉ. सुशील सैनी, डॉ. मनीष शर्मा व डॉ. गुरांग जोशी ने वहां के सी एम. एस. पर महिला फिजियोथेरेपी डॉक्टर्स के आरोप लगाने से आहत होकर अपने इस्तीफा डॉ. रमोला को सौंप दिए।
आपको बता दें कि ये डॉ. वही हैं जिन्होंने 6 से 8 महीने पहले ही यहां अपनी सेवा शुरू की थी,इनका एग्रीमेंट अगले तीन वर्ष के लिए किया गया था परंतु आज इन युवा डॉक्टर्स ने अपने सेवा समाप्ति की घोषणा कर दी है। वैसे ही सरकारी हॉस्पिटलों में आजकल डेंगू जैसे घातक बीमारी फैलने से अफरा तफरी मची हुयी है तो दूसरी ओर इन सरकारी हॉस्पिटलों में डॉक्टर्स व स्टाफ की भारी कमी है। जहां अपने निष्ठावान कर्तव्य का पालन करती हुए डॉ. रमोला इस डेंगू आपदा को निपटने के लिए अपने सीमित स्टाफ से ड्यूटी के अलावा अतिरिक्त काम लेते नज़र आ रहे हैं।
रमोला की सोच है कि यदि उनके इस सीमित स्टाफ के अतिरिक्त काम करने से यदि किसी की जिंदगी बचाई जा सकती है तो इसमें बुरा ही क्या है। शायद यही सोच डॉ रमोला के लिए भारी पड़ गयी कि उन्होंने कोरोनेशन में महिला फिजियोथेरेपी डॉक्टर्स की ड्यूटी कोरोनेशन के कुछ दूरी पर स्थित गांधी शताब्दी में लगा दिए। जिसके बाद उन महिला डॉक्टर्स ने उल्टा डॉ रमोला पर मानसिक उत्पीड़न के संगीन आरोप तक लगा दिए। आरोप से आहत डॉक्टर्स भी अब खुद को असुरक्षित महसूस करते नज़र आ रहे है उनका कहना है कि जब यहां पर डॉ रमोला जैसे सीनियर लोग सुरक्षित नहीं है तो हम कैसे रह सकते है।
क्या कहते हैं CMS डॉ. रमोला
“आज 4 डाक्टरों ने अपना अपना इस्तीफा मुझे दिया था। किन्तु इनका इस्तीफा मैंने आपदा व डेंगू को देखकर अस्वीकार करने के साथ उन्हें काम करते रहने के लिये कहा है। सभी डाक्टरों से विचलित न होने के लिए कहा, समाज में बुरे भले सब प्रकार के लोग हैं। चुनौतियों का मुकाबला करना होगा। और मानवता की सेवा करती रहनी होगी। समझाने के बाद सभी ने मेरी बातों से सहमत होकर मिलकर काम करने की बात कही।”