अपाहिज नेता-कंगाल सरकार, घोषणाएं दे-दनादन। पर ड्राइवरों को पांच माह से वेेतन नहीं
– शर्म करो यशपाल आर्य, ड्राइवरों को पांच माह से वेेतन नहीं
– बेटे को टिकट नहीं मिला तो दल बदल, कर्मचारियों के बच्चों को रोटी नहीं तो वो क्या करें? बताओ?
– गुणानंद जखमोला
22 जनवरी को चमोली के आदिबदरी थाने पर रोडवेज की एक बस खड़ी होती है। ड्राइवर ने कहा, मैं बस नहीं चला सकता, क्योंकि पिछले पांच माह से वेतन नहीं मिला और मेरे बच्चे भूखे हैं। यात्रियों ने समझाया लेकिन वो नहीं माना। यात्रियों को दूसरी बस से भेजा गया। यह बस चालक राजेश देहरादून बस अड्डे पर रो रहा था, क्योंकि उसके घर में न तो आटा था और न ही पैसे। उसके अनुसार वह आत्महत्या करना चाहता था। यदि राजेश का मानसिक संतुलन ऐसा था तो वह कुछ भी कर सकता था। यदि बस हादसे का शिकार हो जाती तो इसका जिम्मेदार कौन होता? रोडवेज में पांच माह से वेतन नहीं मिला, बेईमान बस के पुर्जे बेच देंगे, कमानी टूटी दिखा देंगे, टायर बेच देंगे, लेकिन जो ईमानदार हैं उनका गुजारा कैसे होगा? सोचो जरा?
लोकतंत्र में जनता की याददाश्त कमजोर होती है। इसलिए याद दिला दूं कि परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा का कमल पकड़ लिया था। वह इसलिए क्योंकि उन्हें अपने बेटे के लिए भी टिकट चाहिए था। भाजपा ने बाप-बेटे को टिकट दिया और दोनों अब सत्ता की नाव में सवार हैं। अपने बेटे को राजनीति में स्थापित करने के लिए यशपाल आर्य ने 40 साल का कांग्रेस का सफर एक क्षण में समाप्त कर दिया। तो क्या अब उनको रोडवेज के कर्मचारियों की पीड़ा नजर नहीं आ रही कि, उनके बच्चे तो रोटी के लिए तरस रहे हैं। क्या वो पिता हैं और दूसरे पिता पिता नहीं।
उत्तराखंड सरकार 60 हजार करोड़ से भी अधिक कर्ज में डूबी है। आपके पास घाटे और कर्ज से उबरने के लिए कोई योजना नहीं है। लेकिन चुनाव सिर पर हैं तो आए दिन सीएम त्रिवेंद्र रावत समेत सभी मंत्री विधायक अरबों रुपये की विकास योजनाओं का शिलान्यास और घोषणाएं कर रहे हो। पहले कर्मचारियों को वेतन तो दो। जनता मूर्ख नहीं है सब समझती है।