अनुज नेगी
लैंसडौन।लैंसडौन तहसील में कई वर्षों से भू-माफिया प्रशासन के अधिकारियों के साठगांठ से कृषि भूमि को 143″लैंड यूज़ चैंज धारा” में बड़ा खेल ‘खेल’ रहे है।
वही प्रशासन में बैठे कुछ भृष्ट अधिकारी लालच के लिए इन भू-माफिया के हाथों बिके जा रहें है।
आज हम आपको लैंसडौन तहसील में बैठे कुछ भृष्ट अधिकारियों के कारनामों से उजागर कर रहे है।
बतादें दे लैंसडौन तहसील के अंतर्गत कई वर्षो से बड़े पैमाने पर कृषि भूमि को 143″लैंड यूज़ चैंज धारा” के तहत व्यवसायिक किया जा रहा है। जबकि उक्त भूमियों पर अब तक किसी तरह का निर्माण कार्यों सुरू नही किया गया।वही उक्त भूमियों में कई हरे भरे पेड़ मौजूद है।जबकि यह नियम के तहत पूरी तरह गलत है।
वही अब भू-माफियाओ की नजर अनुसूचित जनजातियों की भूमि पर है,बतादें कि भू-माफिया
अनुसूचित जनजाति की भूमि को 143 ” लैंड यूज़ चैंज धारा” के तहत व्यवसायिक कर सामान्य जनजाति के लोगों को खरीद-फ़रोख्त कर रहे है,जिसमे प्रशासन की अहम भूमिका नजर आ रही है।
वही अगर लैंसडौन तहसील में 2012 से वर्तमान समय तक कि गई भूमि खरीद-फ़रोख्त की उच्च जांच की जाए तो प्रशाशन में बैठे भृष्ट अधिकारियों और कुछ सफेदपोश के काले कारनामे उजागर हो सकते है।
क्या है ‘143
कृषि योग्य का लैंड यूज बदलना के एक्ट को ‘143’ एक्ट कहते हैं। इसमें कृषि योग्य भूमि का लैंड यूज बदलकर आवासीय या व्यवसायिक किया जाता है, जिसके बाद उस भूमि पर निर्माण शुरू किया जा सकता है।
वही जब हमने इस मामले में लैंसडौन *उपजिलाधिकारी शालिनी मौर्य* से बात की तो उन्होंने कहा कि कुछ महीने पहले मैने कार्यभार संभाला और मैंने खुद ही 143 की ऐसी फाइलो को
निरस्त किया, जिसमें निर्माण कार्य नही हो रहा है।और जितने भी अवैध तरीके से कृषि भूमि को 143 किया गया उनकी जांच कर के निरस्त किया जाएगा।