कृष्णा बिष्ट
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की आचार संहिता का उल्लंघन कर रहे हैं तो फिर अब अधिकारी कार्यवाही भी करेंगे तो किस पर !
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कल एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि उत्तराखंड में 47000 नौकरियां मिलेंगी हालांकि केवल अखबारों में छपने वाली इन बयानबाजियों को पढ़ते-पढ़ते उत्तराखंड के बेरोजगार अब मुख्यमंत्री की ऐसी घोषणाओं को मजाक में लेने लगे हैं।
लेकिन यह अपने आप में आचार संहिता के उल्लंघन का मामला तो है ही।
पर्वतजन ने जब चुनाव आयुक्त चंद्रशेखर भट्ट से इस मामले में पूछा तो उन्होंने कहा कि उन्हें “अभी इसका संज्ञान नहीं है,” वे “चुनाव की तैयारियों में व्यस्त थे।अतः कुछ देखकर ही बता पाएंगे।”
आचार संहिता के उल्लंघन का मामला तब और भी गंभीर हो जाता है जब अखबार आजकल गांव गांव में पढ़े जाते हैं। इसलिए यह वोटरों को भाजपा के पक्ष में प्रभावित करने का रणनीति है।
यह इसलिए भी गंभीर है,क्योंकि भाजपा ने हाल ही में पंचायत चुनाव में अपने अधिकृत प्रत्याशियों की सूची जारी की है और प्रत्याशी भी भाजपा के चुनाव चिन्हों के साथ चुनाव मैदान में हैं।
गौरतलब है कि कल ही देहरादून महानगर कांग्रेस के कार्यकर्ता लालचंद शर्मा के नेतृत्व में चुनाव आयुक्त चंद्रशेखर भट्ट से मिले थे और उन्हें एक ज्ञापन सौंपते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री तथा प्रधानमंत्री की फोटो लगे हुए दाल के पैकेट गांव गांव में राशन की दुकानों के मार्फत बंट रहे हैं। इसमें एक तो यह आचार संहिता के उल्लंघन का मामला है और दूसरा जब पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है तो भला यह दाल मुख्यमंत्री की फोटो के साथ पॉलिथीन यह बैग में कैसे बंट रही है !
इसका संज्ञान लेते हुए चंद्रशेखर भट्ट ने आवश्यक कार्यवाही के लिए गेंद अपने पाले से जिले के अधिकारियों की टेबल तक सरका दी है।
लेकिन यह अपने आप में अहम सवाल है कि यह आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है ! यदि यह आचार संहिता का उल्लंघन है तो भला इस पर कार्यवाही कैसे करेंगे !
भला बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधेगा !