रिपोर्टर- विशाल सक्सेना
सितारगंज:-
पूर्व विधायक नारायण पाल ने खुनसरा गाँव पहुँच कर किसान द्वारा केले की फसल जोतने के मामले में किसान का समर्थन करते हुए पूर्व विधायक नारायण पाल ने अपने समर्थकों के साथ खुनसरा गांव में एक दिवसीय सांकेतिक धरना दिया|
बता दे सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के मकसद से केले की खेती की योजना बनाई थी। जिसके तहत उद्यान विभाग ने मनरेगा के तहत किसानों को केले की पौध मुहैया कराती है।मनरेगा योजना में लाभार्थी काशतकारों को विकास खंड सितारगंज से मनरेगा के तहत बुआई, निराई आदि के लिए मजदूरी दिये जाने का प्रावधान भी था।
इससे प्रभावित होकर ग्राम खुनसरा के काशतकार राजेश कुमार, शेर सिंह व रमेश कुमार ने अपनी चार एकड़ भूमि पर केले की खेती करने का विचार बनाया। जून 2019 में उद्यान विभाग ने उन्हें केले की प्रत्येक को 15 सौ केले के पौंधे मुहैया कराये गए । इस पर काशतकारों ने चार एकड़ भूमि पर मनरेगा से मिली मजदूरी से केले की पौंध लगा दी।
पौंध लगाने के बाद खेत की जुताई, खाद व उर्वरकों का खर्च किसानों ने खुद उठाया। इन पर बीस माह के दौरान उनके तीन से साढ़े तीन लाख रुपये खर्च हो गये। लगातार फसल की देखभाल की गई। अब जब फसल तैयार हुई तो खरीददारों की खोज शुरू की गई। कई दिन लगाने के बाद भी किसानों को केले के दो रुपये प्रति किलोग्राम के खरीददार नहीं मिली।
यह देख काशतकारों के होस फाख्ता हो गये। हिसाब लगाया गया तो पता चला कि इस रेट पर तो केले की फसल तैयार होने तक लगी लागत का आधा भी प्राप्त नहीं होगा। काफी कोशिशों के बाद भी जब रेट नहीं मिला तो क्षुब्ध किसानों ने खेत में खड़ी केले की फसल को ट्रैक्टर से जोत दिया।
काशतकार रमेश यादव का कहना है कि केले की फसल लगाकर वे कर्ज में डूब गये हैं। साथ ही बीस माह तक खेत में कोई और फसल नहीं बो सके वह घाटा अलग। ऐसे में सरकार को किसानों से फसल बोने को कहने से पूर्व उसके विपणन की व्यवस्था करनी चाहिये। अन्यथा किसानों को धोखे में नहीं रखा जाना चाहिये।