एक्सक्लूसिव
कुलदीप एस. राणा
राजधानी में चिकित्साशिक्षा निदेशालय के सन्मुख ही गर्ल्स हॉस्टल की सुरक्षा तार तार
सीसीटीवी की चाक चौबंद व्यवस्था में कार्य करने वाले निदेशालय के अधिकारी कर्मचारी बाहर घट रही उस घटना से बिल्कुल बेखबर नज़र आये। छानबीन करने से पता लगा कि हॉस्टल की एक छात्रा जिसका पूर्व में हॉस्टल के ही कुक के भतीजे जिसका हॉस्टल की मेस में आना जाना था, के साथ रहे प्रेम- प्रसंग के विरुद्ध लड़कों का वह झुंड हॉस्टल गेट पर छात्रा से मिलने पहुंच गया। छात्रा भी बिना किसी अनुमति के गेट पर लड़कों के साथ बेफिक्र हो वार्तालाप करती दिखी, बाद में ये लड़के वेटिंग रूम में जाने के लिए हंगामा करने लगे।
उक्त घटना के दौरान गेट पर न तो कोई सुरक्षाकर्मी नज़र आ रहा था और न ही हॉस्टल में कोई वार्डन। निदेशालय से पता चला कि उक्त हॉस्टल के लिए विभागीय ढांचे में न तो वार्डन का पद सृजित है और न ही सुरक्षा को लेकर गार्ड का कोई प्राविधान है।
वर्ष 2010 में स्कूल के आरम्भ होते समय तत्कालीन डीजी हेल्थ द्वारा टेम्परेरी व्यवस्था के साथ हॉस्टल प्रारम्भ कर दिया था, जिसमे 9 वर्ष बीत जाने के बाद भी कोई सुधार नही किया गया है।
हॉस्टल के मेस की जिम्मेदारी कलेक्टिव रूप से छात्राओं की ही है, जहां शुरुआत से ही पुरुष कुक खाना बना रहे हैं, जिनके साथ गाहे बगाहे बाह्य तत्व भी हॉस्टल मेस में आते जाते रहते हैं। ऐसे में वहां रहने वाली छात्राएं कितनी सुरक्षित माहौल में हैं, स्पष्ट समझा जा सकता है।
उक्त प्रकरण पर स्टेट स्कूल ऑफ नर्सिंग में संविदा पर कार्य कर रही प्रभारी प्रिंसिपल डॉ. मेहविश खालिद ने भले ही कड़ा रुख अख्तियार करते हुए उक्त छात्रा को नोटिस जारी करने के साथ ही उसके माता पिता को भी घटना की जानकारी देने की बात कही है। यहां यह भी समझना होगा कि सविंदा कर्मी के अधिकारों की भी एक सीमा है, जिसके इतर वह कोई निर्णय या कार्यवाही नही कर सकते हैं।
ऐसे में अब घटना के बाद यहां सवाल उठना लाजमी है कि जब राजधानी देहरादून में निदेशालय के सन्मुख ही गर्ल्स हॉस्टल में सुरक्षा का यह आलम है तो पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित कालेज एवम् हॉस्टल में सुरक्षा की व्यवस्था क्या होगी !
अधिकांश कालेज संविदा पर नियुक्त संकाय सद्स्यों के भरोसे ही गतिमान है। सरकार ने भवन तो बनाये किन्तु स्थायी नियुक्तियां कभी नही की। ऐसे में वहां पढ़ रही छात्राओं की सुरक्षा कितनी पुख्ता होगी स्पष्ट देखा और समझा जा सकता है ।