इंद्रजीत असवाल
पौड़ी गढ़वाल
सतपुली :
केंद्र सरकार की मनरेगा के द्वारा पहाडों में खनतियाँ, चेकडैम ,भूमि सुधार के कार्य किये जा रहे हैं जो कि सिर्फ खानापूर्ति के सिवाय कुछ नहीं है । सरकार खनतियाँ और चैकडैम को जल संरक्षण के लिए पहाड़ो में करोड़ो रूपए खर्च कर बना रही है परन्तु लगता नहीं की इससे कोई जल संचय हो पा रहा है ।
ऐसे ही सरकार पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि सुधार का कार्य कर रही है जिसके अंतर्गत बंजर खेतो सहित कई पहाड़ी क्षेत्रों में दीवारें बनाई जा रही है जिससे सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है ।
इससे यही लगता है कि, जल संचय और भूमि सुधारीकरण के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है और बजट को ठिकाने लगाया जा रहा है जिस्समे सरकार को करोड़ो रूपए का नुकसान हो रहा है ।
यदि जल संचय या भूमि सुधारीकरण ही करना है तो सरकार को मनरेगा के तहत पहाड़ों में खनतियाँ नही बल्कि हर बंजर खेत को आबाद करने के लिए खेतो में हल लगवाना चाहिये क्योकि खेत आबाद होने से जल संचय तो होगा ही साथ में पेट संचय भी होगा ।
वहीँ जब कृषि को मनरेगा से जोड़ा जाएगा तो सवाभाविक है भूमि सुधार भी अपने आप ही होगा । जिसके तहत जहाँ एक और जल संचय होगा वही आर्थिकी भी मजबूत होगी ।
इस मामले ब्लॉक प्रमुख जह्रिखाल दीपक भंडारी ने कहा कि सरकार खनतियाँ, चेकडैम, भूमि सुधार के लिए किया जा रहा है उसमे कहीं न कहीं खामी है जो करोड़ों रुँपये खर्च करने के बाद भी अपने लक्ष्य तक नहीं पहुच पा रही है । इसलिए सरकार को इस कार्य को मनरेगा के तहत जोड़ना चाहिए । जिससे सरकार को और लोगों को फायदा होगा ।
ब्लॉक प्रमुख एकेश्वर नीरज पांथरी ने कहा कि, यदि सरकार मनरेगा को खेती से जोड़ती है तो जल संचय तो होगा ही साथ में खेत हरे भरे होंगे जिससे पेट संचय भी होगा | वहीं मनरेगा को कृषि से जोड़ने पर लोगों की आर्थिकी मजबूत होगी और सरकार को भी फायदा होगा तथा खेतों में पैदावार बढ़ेगी ।