एक तरफ साउथ अफ्रीका और दुनिया के कई देशों में भ्रष्टाचार के खिलाफ FBI जैसी दुनिया की सबसे बड़ी एजेंसियां गुप्ता बंधुओं के खिलाफ कार्यवाही कर रही थी तो वहीं उत्तराखंड सरकार में इन लोगों को कहीं राज्य अतिथि की सुविधा प्रदान की जा रही थी तो कहीं जेड श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की जा रही थी।
पर्वतजन के पास उपलब्ध जानकारी इस बात की गवाह है कि भाजपा की सरकार रही हो या कांग्रेस, दोनों पार्टियां अतुल, अनिल और अजय, तीनों गुप्ता बंधुओं पर खासी मेहरबान रही हैं।।
गुप्ता बंधुओं के जीजा अनिल गुप्ता को 2010 में सबसे पहले निशंक सरकार में सुरक्षा मिली ।
अतुल कुमार गुप्ता को कांग्रेस सरकार में 14 जून वर्ष 2016 में वाइ श्रेणी की सुरक्षा दी गई थी। इसके बाद इसी साल उनका 19 सितंबर को 6 माह के लिए गनर दिया गया।
18 मार्च 2017 में भाजपा की सरकार बनते ही ठीक 2 महीने बाद अतुल कुमार गुप्ता को जेड श्रेणी की सशुल्क सुरक्षा प्रदान कर दी गई। उनसे यह सुरक्षा 12 मार्च 2018 को हटाई गई।
कांग्रेस सरकार में ही दूसरे भाई अजय कुमार गुप्ता को 10 जून 2015 में प्रदेश में आगमन पर राज्य अतिथि की सुविधा प्रदान की गई तथा 11 जून 2015 से उन्हें निशुल्क जेड श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई, जिसमें एक एस्कॉर्ट, दो पीएसओ तथा निवास स्थान पर सशस्त्र गार्ड की सुरक्षा दी गई थी।
प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही इनको सशुल्क जेड श्रेणी की सुरक्षा फिर से प्रदान कर दी गई, जो मार्च 2018 तक जारी रही। और फिर 31 दिसंबर 2018 को निजी व्यय पर इनको दो गनर उपलब्ध कराए गये।
जीजा अनिल कुमार गुप्ता को भी जेड श्रेणी की सुरक्षा उपलब्ध कराने की मांग की और सरकार द्वारा उपलब्ध करायी गई।
9 जून 2015 को अनिल कुमार गुप्ता को पुनः वाई श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई , जिसमें एक-चार की सशस्त्र गार्द, दो पीएसओ सशुल्क दिए गये। इसके बाद 27 जून 2016 को अनिल कुमार गुप्ता को वॉइ श्रेणी के समकक्ष सुरक्षा दी गई और फिर 19 सितंबर 2016 को इस सुविधा को बढ़ाकर जेड श्रेणी की सुरक्षा कर दिया गया।
6 जून 2017 को त्रिवेंद्र राज में अजय गुप्ता अतुल गुप्ता को पुनः जेड श्रेणी की सुरक्षा दी गई ।
यह सुविधा उन्हें उत्तर प्रदेश और दिल्ली में भी उपलब्ध कराए जाने का निर्णय लिया गया।
इसके बाद भाजपा की सरकार बनने पर 6 सितंबर 2017 को अनिल कुमार गुप्ता को फिर से निजी व्यय पर वाइ श्रेणी की सुरक्षा उपलब्ध करा दी गई। यह वही समय था, जब फेडरल ब्यूरो आफ इन्वेस्टिगेशन यानी एफबीआई दक्षिण अफ्रीका में गुप्ता बंधुओं की संपत्ति की जांच कर रहा था। इस दौरान एफबीआई ने जांच की थी कि गुप्ता बंधुओं ने साउथ अफ्रीका से दूसरे देशों में और अपने भाई भतीजों की कंपनियों में बड़ी मात्रा में मनी लांड्रिंग की थी।साउथ अफ़्रीका से भागने में एक बड़े गोल्ड माफिया ने गुप्त बंधुओं की मदद की थी सौ: अल जज़ीरा
अमेरिका की जाँच एजेंसी ने एक प्रेस नोट जारी करके कहा था कि गुप्ता बंधु स्टेट कैप्चर के माहिर है यानी अधिकारी और नेताओं को करप्ट करके सिस्टम को कैप्चर करते है ।
अफ़्रीका को लूटने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रेमंड ज़ोंडो के नेतृत्व में आयोग बनाकर जाँच की गई।
गुप्ता बंधुओं की सुरक्षा 12 मार्च 2018 तक जारी रही और फिर 27 फरवरी 2019 को इन्हें निजी व्यय पर गनर की सुरक्षा उपलब्ध कराई गई।
मार्च 2022 में फिर से भाजपा की सरकार बनने पर अनिल कुमार गुप्ता को निजी व्यय पर एक बार फिर से एक गनर की सुविधा एक वर्ष तक के लिए बढ़ा दी गई। फिलहाल 2 मार्च 2024 तक की रिपोर्ट के अनुसार इनके गनर को हटाने की आख्या शासन को प्रेषित की जा चुकी थी , जिस पर क्या निर्णय हुआ, यह अभी पब्लिक डोमेन में नहीं है।
यह वही दौर था जब एक तरफ गुप्ता बंधुओं के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका में भ्रष्टाचार के आरोपों में जांच हो रही थी तो वही और जिस कंपनी के सहारा कंप्यूटर्स के खाते कई देशों में मनी लाउंड्रिंग के आरोपों में सीज थे उसी कंपनी की सब्सीड्री कंपनी ने दून लेजर हॉस्पिटैलिटी कंपनी और गुप्त बंधुओं की ही एलसी इन्वेस्टमेंट ने हेरिटेज एविएशन बना डाली और उत्तराखंड में बड़े-बड़े ठेके मिलने लगे।
इस तरह से देखा जाए तो वर्ष 2010 से भाजपा की सरकार रही हो या 2015-16 में कांग्रेस की सरकार अथवा 2017 से लगातार भाजपा की सरकार की बात हो, किसी भी पार्टी की सरकार रही हो दोनों गुप्ता बंधुओं पर मेहरबान रही।