स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य द्वारा सरकार वर्ष 2001 की खनन नीति में संसोधन करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए अगली सुनवाई 17 मार्च को तय की है।
पूर्व में न्यायालय ने इस संसोधन नीति पर रोके लगा दी थी, जिसपर आज राज्य सरकार ने शपथ पत्र पेश कर कहा कि आपदा के दौरान अधिकांश जमीदारों की भूमि भू स्खलन में बह जाती है| जिसके कारण उनके पास जमीदारी करने के लिए भूमि नही रहती । इसलिए उनको वर्ष 2001 की खनन नीति में कुछ संसोधन करने पड़ रहे हैं ।
इसपर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने आपत्ति दर्ज कराने के लिए न्यायालय से दो सप्ताह का समय मांगा। न्यायालय ने मामले की सुनवाई के लिए 17 मार्च की तिथि तय की है।
मामले के अनुसार, राज्य सरकार ने खनिज नीति 2001 में संशोधन करते हुए 5 मई 2020 को इस नीति को संशोधित करते हुए कहा कि नदी तट से लगी भूमि पर खनन की अनुमति प्राइवेट लोगों को दे दी थी|
जिसपर पूर्व में न्यायालय ने रोक लगा दी थी। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि नदी के किनारों की भूमि किसी भी व्यक्ति की सम्पति नहीं हो सकती है, नदी का दायरा सरकार बदल नही सकती है और इस तरह का संसोधन करना गलत है।