स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश की माइनिंग पॉलिसी के खिलाफ, अवैध खनन, बिना पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड(पी.सी.बी.)की अनुमति के संचालित स्टोन क्रेशरों और आबादी क्षेत्रो में संचालित स्टोन क्रेशरों के खिलाफ 38 से अधिक जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सरकार और याचिकाकर्ताओ से दो सप्ताह में अपने अपने जवाब पेश करने को कहा है ।
मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह के बाद की तय की गई है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायधीश आर.एस.चौहान और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ में हुई।
मामले के अनुसार बाजपुर निवासी रमेश लाल, मिलख राज, रामनगर निवासी शैलजा साह, त्रीलोक चन्द्र, जयप्रकास नौटियाल, आनंद सिंह नेगी, वर्धमान स्टोन क्रेशर, शिव शक्ति स्टोन क्रेशर, बलविंदर सिंह, सुनील मेहरा, गुरमुख स्टोन क्रशर सहित 29 अन्य से अधिक लोगो द्वारा जनहित याचिकाएं और इससे सम्बन्धित याचिकाएं दायर की गई है।
ये याचिकाएं विभिन्न बिंदुओं को लेकर दायर की गई है। कुछ याचिकाओ में प्रदेश की खनन नीति को चुनौती दी गयी है। कुछ में आबादी क्षेत्रो में चल रहे स्टोन क्रेशरों को हटाए जाने के खिलाफ जनहित याचिकाएं दायर की गई।
कुछ जनहित याचिकाओं में स्टोन क्रेशरों द्वारा अवैध रूप से किये जा रहे खनन तथा कुछ के जनहित याचिकाओं में स्टोन क्रेशरों द्वारा पी.सी.बी.के मानकों को पूरा नही करने के खिलाफ जनहित याचिकाएँ दायर की गई हैं।
शैलजा साह ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि, अल्मोड़ा के मासी में रामगंगा नदी के किनारे से 60 मीटर दूरी पर रामगंगा स्टोन क्रशर लगाया गया है जो पी.सी.बी.के नियमों के विरुद्ध है।
दूसरा बाजपुर के रमेश लाल ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि, कोसी नदी में स्टोन क्रशर मालिकों द्वारा अवैध खनन किया जा रहा है और कुछ स्टोन क्रेशर नैशनल पार्कों से सटे स्थानों पर लगाये गए है। खंडपीठ ने इन सभी से दो हफ्ते में अपने अपने जवाब देने को कहा है ।