राजद्रोह मामले में पर्वतजन के संपादक की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
पर्वतजन के संपादक शिव प्रसाद सेमवाल की गिरफ्तारी पर नैनीताल हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। गौरतलब है कि, रांची घूस कांड के मामले में रांची के भाजपा नेता अमृतेश चौहान ने आरोप लगाया था कि, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने करीबियों के खातों में नोटबंदी के दौरान उनसे लाखों रुपए प्राप्त किए थे। अमृतेश चौहान ने आरोप लगाया कि, त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पैसे तो ले लिए लेकिन उन से किया गया वादा पूरा नहीं किया और ना ही उनके पैसे लौटा रहे हैं।यह मामला मीडिया में उछलने पर मुख्यमंत्री के पूर्व सलाहकार हरेंद्र सिंह रावत ने इस खबर को प्रकाशित करने का आरोप लगाते हुए वरिष्ठ पत्रकार उमेश कुमार शर्मा, राजेश शर्मा और पर्वतजन के संपादक शिव प्रसाद सेमवाल के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।
पुलिस ने बेहद गैर जिम्मेदाराना ढंग से इस मामले में राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कर दिया था तथा क्राइम स्टोरी के संपादक राजेश शर्मा को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था। गिरफ्तारी से बचने के लिए उमेश कुमार शर्मा और शिव प्रसाद सेमवाल हाई कोर्ट शरण में चले गए। पांच अगस्त को उमेश शर्मा की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गई थी। आज शिवप्रसाद सेमवाल की गिरफ्तारी पर भी हाई कोर्ट नैनीताल ने रोक लगा दी है।
उत्तराखंड में भ्रष्टाचार को लेकर बुरी तरह बदनाम हो चुकी उत्तराखंड सरकार इतनी बुरी तरह तिलमिला हुई है कि जो भी पत्रकार सरकार के भ्रष्टाचार पर कलम चलाता है अथवा आवाज उठाता है, उसके खिलाफ तत्काल कार्यवाही कर दी जाती है।
त्रिवेंद्र सरकार ने पत्रकारों के दमन के लिए पुलिस प्रशासन का गैर जिम्मेदाराना इस्तेमाल करके मित्र पुलिस की छवि को भी उत्तराखंड में दागदार कर दिया है। पर्वतजन के माध्यम से शिव प्रसाद सेमवाल लंबे समय से त्रिवेंद्र सरकार के घोटालों को प्रकाशित कर रहे थे। इससे बौखला करके त्रिवेंद्र सरकार ने रांची घूस कांड के मामले में अन्य मीडिया कर्मियों के साथ शिव प्रसाद सेमवाल के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कर दिया था।
त्रिवेंद्र सरकार की मनमानी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पर्वतजन ने इस मामले को लेकर पिछले डेढ़ साल से कोई खबर तक नहीं प्रकाशित की थी। यहां तक कि एफआईआर में शिव प्रसाद सेमवाल का नाम तक भी नहीं लिया गया था। लेकिन त्रिवेंद्र सरकार ने इसके बावजूद शिव प्रसाद सेमवाल के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज करा दिया। शिवप्रसाद सेमवाल के खिलाफ झूठी एफ आई आर दर्ज करने पर आज हाईकोर्ट ने सरकार को जमकर लताड़ लगाई और गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। काफी लंबे समय से सरकारी सिस्टम को जनहित में जिम्मेदार बनाने के लिए पर्वतजन इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म के माध्यम से विभिन्न खबरें प्रकाशित करता आ रहा है।
इसी से तिलमिलाए त्रिवेंद्र सरकार ने अपना भ्रष्टाचार छुपाने के लिए पर्वतजन के संपादक शिव प्रसाद सेमवाल के खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा दर्ज कर दिया था। त्रिवेंद्र सरकार का मकसद केवल इतना था कि पर्वतजन मुकदमे बाजी में ही फंसा रह जाए और त्रिवेंद्र सरकार के घोटालों के खिलाफ कोई आवाज उठाने वाला ना हो। त्रिवेंद्र सरकार की इस करतूत के खिलाफ उत्तराखंड के लोगों में काफी गुस्सा है। इस प्रकरण में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का सीधे-सीधे नाम आने से पुलिस और अन्य अधिकारी भी मुख्यमंत्री के दबाव में काम कर रहे हैं तथा इस प्रकरण की जांच में भी पक्षपात तो कर ही रहे हैं कोर्ट को भी गुमराह कर रहे हैं।
अपने भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए पत्रकारों का इस तरह से दमन किए जाने से उत्तराखंड का आम जनमानस काफी खफा है और वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव का इंतजार कर रहा है, ताकि त्रिवेंद्र सिंह रावत के कारनामों का सबक भाजपा को आगामी चुनाव में ठीक से सिखाया जा सके।
बता दें कि, फैसला जज मैथानी जी की बेंच में हुआ। जहां सुप्रीम कोर्ट के सीनियर लॉयर श्याम दीवान जी, अंकुर चावला जी एवं हाई कोर्ट के वकील आदित्य सिंह जी अपियर हुए।