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एचआरडी मंत्रालय से आयुर्वेदिक विवि की अनियमितताओं की शिकायत

May 10, 2020
in पर्वतजन
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आयुष छात्रों द्वारा मानव संसाधन विकास मंत्रालय को पत्र लिखकर उत्तराखण्ड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय की अनियमितताओं के साथ-साथ छात्रों को हो रही समस्याओं से अवगत कराया गया है।
छात्रों ने पत्र के माध्यम में स्पष्ट लिखा है कि लगातार तीन से अधिक बार विश्वविद्यालय द्वारा रिसेशनल, बैक परीक्षाएं व मुख्य परीक्षाओं की तिथियां घोषित की गई, परंतु विश्वविद्यालय परीक्षा आयोजित करने में असमर्थ रहा। जिससे छात्रों का नया शैक्षणिक वर्ष प्रभावित हो रहा है। पहले से ही 6 माह से अधिक का समय छात्रों का व्यर्थ हो चुका है और वर्तमान में पुन: वैश्विक महामारी के इस दौर में सत्र में लगातार हो रही देरी व परीक्षाएं न होने से छात्रों का भविष्य खतरे में है।

छात्रों का कहना है कि फिलहाल उत्तीर्ण व अनुत्तीर्ण छात्रों का नया शैक्षणिक सत्र प्रारंभ किया जाए तथा परीक्षाओं पर अन्य विश्वविद्यालयों की भांति यथोचित फैसला लिया जाए, क्योंकि केंद्रीय भारतीय चिकित्सा परिषद व विश्वविद्यालय की गाइडलाइन के अनुसार कुछ विषयों में अनुत्तीर्ण छात्रों को नए सत्र में प्रमोट तो कर दिया जाता है परंतु अंतिम वर्ष तक सभी बैक पेपर पास करने पर ही डिग्री अवार्ड की जाती है।

ऐसे में छात्रों को फिलहाल आगामी सत्रों में प्रमोट कर दिया जाए, क्योंकि मानव संसाधन विकास मंत्रालय कि एक ट्वीट के मुताबिक कुछ विश्वविद्यालयों में 50% पुराने सेमेस्टर के अंक तथा 50% इंटरनल इवैल्यूएशन के आधार पर ग्रेडिंग करने की बात कही गई है।

ऐसे में छात्रों का कहना है उत्तराखंड आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय की परीक्षाओं पर भी यथोचित फैसला लिया जाए व नया सत्र बिना किसी देरी के साथ ऑनलाइन क्लास द्वारा प्रारंभ करा दिया जाए।

कुछ आयुर्वेदिक संस्थानों द्वारा नोटिस निकालकर छात्रों को बड़ी फीस जमा करने पर ही परीक्षा में बैठाने की बात की जा रही है। उच्च न्यायालय उत्तराखंड व मुख्यमंत्री के आदेशों का भी पालन नहीं किया जा रहा है। ऐसे में छात्रों की परीक्षाएं विलंब न हो, व एकेडमिक सत्र लेट न हो, इसके चलते छात्रों द्वारा पत्र उच्च अधिकारी को लिखा गया है। पत्र में कहीं भी पास करने जैसी कोई भी बातें नहीं है, सिर्फ समस्याओं से अवगत कराया गया है और समाधान की बात कही गई है।

छात्रों ने कहा कि 13 विश्वविद्यालयों में लगभग 2800 छात्र है, जो सत्र में हो रही देरी से परेशान हैं। छात्र हितों को ध्यान में रखते हुए शीघ्र अति शीघ्र विश्वविद्यालय को आदेशित किया जाने की मांग की गई है।


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