कमल जगाती, नैनीताल
खनन से जुड़े एक अहम मामले में जांच नोटिस पर अपना बयान दर्ज कराने प्रदेश के कई आला अधिकारी आयुक्त कार्यालय पहुंचे। कार्यालय ने नोटिस जारी कर दीपक रावत और हरवीर सिंह समेत कुल 15 अधिकारियों को आज आयुक्त कार्यालय में बयान दर्ज कराने को कहा था जिसमे से कुल 11 अधिकारी ही पहुँचे।
कालाढूंगी निवासी दिलबाग सिंह ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि कालाढूंगी के सिमलचौड़ रेन वाटर हार्वेस्टिंग व पर्यटन की दृष्टि से कृत्रिम झील निर्माण का कार्य होना था।
आरोप लगाया गया है कि अवैध खनन और राजकोष को भारी हानि हुई है। इसमें ये भी कहा गया है कि यहां से खनन होने के बाद उसे दूसरी जगहों को ट्रांसपोर्ट किया गया। जहां पर टैंक बनाया गया वहां टैंक की जगह केवल गड्ढे खोदे गए हैं।
उच्च न्यायालय में खनन से जुड़े इस मामले को सुनने के बाद न्यायालय ने प्रदेश के मुख्य सचिव को जांच करने के लिए कहा था। इस पर एक्शन लेते हुए मुख्य सचिव ने कुमाऊँ आयुक्त राजीव रौतेला की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय जांच कमिटी बनाई।
जांच के क्रम में आज इन अधिकारियों ने आयुक्त कार्यालय में उपस्थित होकर अपने बयान दर्ज कराने को कहा गया था। बैठक में पूर्व ए.डी.एम.और सचिव जिला विकास प्राधिकरण हरवीर सिंह, राजपाल लेखा, पंकज उपाध्याय, बी.एल.फिरमाल, विप्रा त्रिवेदी, कृष्ण गोपाल पंत, तारा चंद घिल्डियाल, विनोद कुमार पाण्डे, गिरीश चंद पाण्डे, मनोज कुमार पाण्डे, नंदन सिंह रावत आयुक्त कार्यालय में उपस्थित हुए। हल्द्वानी के नगर आयुक्त चंद्र सिंह मर्तोलिया के पहुंचने की सूचना दी गई है।
बैठक में नैनीताल के पूर्व जिलाधिकारी व हरिद्वार के कुम्भ मेला अधिकारी दीपक रावत, उदय राणा और शिव चरण द्विवेदी गैरमौजूद रहे। इसमें से शिव चरण द्विवेदी ने अपना अभिमत लिखित में आयुक्त कार्यालय को पहुंचवा दिया है। अब 30 जुलाई को विवादित स्थान में आयुक्त का स्थलीय निरीक्षण होना तय है।