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इगास को मिली नई पहचान : थैंक्यू अनिल बलूनी

'अपना वोट - अपना गांव' अभियान भी रहा सफल

November 13, 2019
in पर्वतजन
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उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद मनोनीत होते ही भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी ने कुछ अलग शैली से अपने काम की शुरुआत की। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह के खास सिपहसालार माने जाते हैं, जिसका सबूत उन्होंने निरंतर उत्तराखंड के लिए विभिन्न योजनाओं के द्वारा तो दिया ही, सांसद बलूनी ने पलायन के विरुद्ध ‘अपना वोट – अपने गांव’ अभियान भी चलाया जिसे उत्तराखंड की विभिन्न हस्तियों का भरपूर साथ मिला। एनएसए अजीत डोभाल, सेना अध्यक्ष बिपिन रावत, गीतकार प्रसून जोशी, लेफ्टिनेंट गवर्नर डीके जोशी, पर्वतारोही बछेंद्री पाल सहित राज्य के तमाम बड़े नाम इससे जुड़े किन्तु इगास पर बलूनी की पहल ने इस त्योहार को चर्चाओं में ला दिया।

उत्तराखंड की लुप्त होती समृद्ध संस्कृति को बचाने के लिए सांसद बलूनी ने प्रवासी उत्तराखंडियों से इगास बग्वाल मनाने अपने गांव आने का आह्वान किया था और साथ ही घोषणा की थी कि वह इस बार की इगास अपने गांव नकोट में मनाएंगे। नकोट देवप्रयाग के निकट पौड़ी जिले की कड़वालस्यूँ पट्टी का एक छोटा सा गांव है। अस्वस्थ बलूनी लगभग डेढ़ माह से मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती हैं, किंतु अस्वस्थता से पूर्व उन्होंने राज्य की महत्वपूर्ण हस्तियों, कलाकारों से भेंट कर इस अभियान को बड़ा स्वरूप देने की कोशिश की थी। सांसद बलूनी की बीमारी का कुछ फेसबुकियों, कुछ पोर्टलों और उनकी ही पार्टी के एक गुट ने मजाक उड़ाया। मानवीय मानदंडों के विरुद्ध जाकरके भी कुछ लोगों ने अस्पताल में पड़े बलूनी के अभियान पर सवाल दागने से गुरेज नहीं किया।

जब सांसद बलूनी के अभिन्न मित्र और भारतीय जनता पार्टी के तेजतर्रार लोकप्रिय प्रवक्ता संबित पात्रा ने बलूनी की अस्वस्थता के कारण खुद बलूनी के गांव जाकर इगास मनाने की घोषणा की तो इसे भी महज घोषणा या स्टंट ठहराने के पूरे प्रयास किए गए, किंतु निश्चित समय पर संबित पात्रा बलूनी के गांव भी पहुंचे। धूमधाम से उन्होंने इगास भी मनाया और नकोट गांव से साक्षात्कार कर अभिभूत भी हुए। जहां पात्रा- वहां मीडिया वाली कहावत भी नकोट गांव में दिखाई दी। पूरे मीडिया का हुजूम नकोट गांव में मौजूद था। गांव ने भी अपने अस्वस्थ पड़े बेटे का मनोबल कम नहीं होने दिया और अपने निजी संसाधनों से स्थानीय ग्रामीणों ने जिस तरह एकजुट होकर बलूनी के प्रतिनिधि संबित पात्रा की मौजूदगी को महोत्सव बना डाला उसे पूरे उत्तराखंड ने महसूस किया। राज्य विधानसभा के स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल ने भी बलूनी की अनुपस्थिति में हो रहे इस चर्चित कार्यक्रम में अपनी मौजूदगी से राजनीतिक पंडितों को भी होमवर्क दे दिया।

चर्चित राजनेता और कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत भी अपने गांव इगास मनाने पहुंचे। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने बकायदा मीडिया से संवाद कर बताया कि वह बलूनी की अपील पर नैनीताल जनपद के एक गांव में इगास बनाने जा रहे हैं। कुमाऊं अंचल में इगास को बुढ़दिवाली कहा जाता है। राज्य सरकार ने छठ की छुट्टी कर राज्य में रह रहे बिहारी समाज को उनके सम्मान का जितना एहसास कराया, उतना ही इगास के प्रति उपेक्षा दिखाकर राज्य सरकार ने अपनी खूब फजीहत कराई। सोशल मीडिया में घूम रहे एक भ्रामक और झूठे शासनादेश की सफाई देने के लिए राज्य सरकार ने अपनी पूरी शक्ति लगा दी कि इगास पर कोई भी छुट्टी नहीं दी गई है। राज्य की अपर मुख्य सचिव से लेकर स्वयं मुख्यमंत्री मीडिया से रूबरू हुए। इस विषय पर सरकार और उसके सूचना विभाग की अति सक्रियता उत्तराखंड भर में चर्चा का विषय बन गई। आखिर इगास के प्रति इतनी चिढ़ क्यों? बहराल पहली बार सदियों से मनाया जा रहा इगास सर्वाधिक चर्चा में आया। प्रवासियों ने सोशल मीडिया परअपने गांव में इगास मनाती फोटो साझा की। 8 नवंबर को इगास मनाया जा चुका है। बलूनी की अपील के कारण एक पौराणिक और पारंपरिक त्योहार के विरोध में लिखने वाली कलमें भी चुप हो चुकी है। विकास के समर्थक राज्य भर में इगास मनाए जाने और सोशल मीडिया में इगास की धूम मचने से खुश हैं। पहली बार इगास देश-विदेश में में उत्तराखंडियों के बीच चर्चा का विषय रहा इसका श्रेय निसंदेह सांसद बलूनी को स्वतः ही जाता है।


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