जेसीबी व दारू ने बिगाड़ा गोहरी रेंज का भूगोल, अधिकारी माल चपत कर हुए गोल
– पार्क के अधिकारियों की मिलीभगत से पार्क क्षेत्र में धड़ल्ले से चलाई जा रही जीसीबी मशीनें
रिपोर्ट- अनुज नेगी
देहरादून। उत्तराखंड वन महकमें के लिए सरदर्द बन चुकी राजाजी पार्क की गोहरी रेंज एक बार फिर अधिकारियों के काले कारनामों की वजह से चर्चाओं में बनी है। राजाजी पार्क के गोहरी रेंज का जेसीबी व दारू से गहरा नाता रहा है। इन दो चीजों के सहयोग से जंगलाती खाकी यहां जम कर माल लूट रही है। इस रेंज की सर्वविदित व विवादित लक्ष्मणझूला सेक्शन के खाकीधारी जम कर माल चाटने में व्यस्त है। मगर जिम्मेदार अधिकारी शांत बैठे है, जो कई शक पैदा कर रहा है।
ताजा मामला यहाँ स्थित घटटूघाट क्षेत्र का है। जहां कुछ समय पूर्व एक निजी संचार कंपनी को ओफसी लाइन बिछाने से परमिशन के नाम पर काम करने से रोक दिया गया था। मगर सूत्रों की माने तो अब नए चर्चित निदेशक ने उन्हें पार्क क्षेत्र में कार्य करने की परमिशन दे दी गई है।
बता दें कि, राजाजी पार्क के बफर जॉन में एक निजी कंपनी व पार्क के अधिकारियों की मनमानी के चलते वन्य जीव हादसे का शिकार हो सकते है, लेकिन पार्क प्रशासन भी आंखें मूंदे हुए है।
राजाजी पार्क के चर्चित गोहरी रेंज के गरुड़ चट्टी-नीलकंठ मोटरमार्ग के बफर जॉन में इन दिनों एक निजी संचार कंपनी ने अपने ओएफसी लाइन बिछाने के लिए पार्क के बफर जॉन में दिन रात जेसीबी मशीनों से खुदाई का कार्य शुरू किया है, जबकि पार्क क्षेत्र में किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य व अन्य कार्य करने के लिए जेसीबी मशीन पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है। बावजूद इसके पार्क क्षेत्र में निजी संचार कंपनी ने कई किलोमीटर खोदकर पार्क के वन्यजीवों के लिए खतरा पैदा कर दिया है। बावजूद इसके जिम्मेदार पार्क प्रशासन सोया हुआ है।
क्षेत्रवासियों का कहना है कि, पार्क के अधिकारियों की मिलीभगत से पार्क क्षेत्र में जब शराब का ठेका खुल सकता है तो पार्क में कुछ भी हो सकता है। वही दूसरी ओर पार्क के इसी क्षेत्र में चर्चित शराब के ठेके में कई लोगो ने मलाई चाटी। सूत्रों की माने तो राजाजी पार्क मे शराब के ठेके की जमीन को लेकर मोटा सौदा हुआ। वही पार्क प्रशासन अभी उक्त भूमि का सर्वे कराने की बात कह कर अपने अधिकारियों को बचाने में लगा हुआ है, अब देखना होगा कब तक वन महकमा इन दलाल अधिकारियों को बचाता है।
वही जब पर्वतजन ने राजाजी पार्क के निर्देशक डी के सिंह से बात करनी चाही तो उन्होंने बात करने से साफ-साफ मना कर दिया। तब इस मामले को लेकर पर्वतजन ने राजाजी पार्क के वन्यजीव प्रतिपालक और गोहरी रेंज के रेंजर से बात करनी चाही तो उनके द्वारा फोन नही उठाया गया। अब बड़ा सवाल यह है कि, आखिर पार्क के अधिकारी जवाब देने से क्यों बच रहे है। क्या इन अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी आ अहसास नही है या फिर ये अधिकारी ऊंची पहुंच रखते है।