सतपाल धानिया/विकासनगर
कल देर रात देहरादून के विकासनगर तहसील के जामनखाता गांव में एक परिवार अपना पेट नदियों में उगने वाली घास सुसवा खाकर भर रहा था। घर में एक मुट्ठी आटे तक की नहीं थी, जिससे यह परिवार अपना औऱ अपने छोटे छोटे मासूम बच्चों क़ो एक निवाला भी दे सके। दो दिन से यह सात सदस्यों क़ा परिवार नदियों में उगने वाले सुसवा घास औऱ घर में बचे हुए कुछ आलू से पेट भर रहा था।
हालाकि अभी लॉकडाउन के चंद दिन ही हुए हैं। पता नहीं यह लॉकडाउन कब तक रहे। जब पाँच दिन में ही लोगों क़ो भूखे पेट सोने क़ो मजबूर होना पड़ रहा है तो कल्पना कीजिए कि इक्कीस दिन में क्या होगा। शायद कोरोना वायरस के प्रकोप से ज्यादा मौतें भूख की वजह से मरने से होगी। सरकार भले ही चाहे कितने भी दावे कर ले, लेकिन हकीकत दावों से बहुत भिन्न है।
दिहाड़ी मजदूरी कर अपना औऱ अपने बच्चों क़ा पेट पाल रहे इस परिवार की जीविका क़ा एक मात्र साधन मजदूरी ही था। लेकिन कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते कई दिनों से कहीं भी दिहाड़ी मजदूरी नहीं मिल रही थी। जिस वजह से आज यह परिवार भुखमरी की कगार पर आ खड़ा हुआ था। वो तो गनीमत यह रही कि कोरोना वायरस की रोकथाम औऱ संक्रमण के बचाव में लगे विकासनगर कोतवाली के दो सिपाही नितिन कुमार औऱ दीपक चौहान वहां से गुजरे तो उन्होंने देखा कि सात लोग एक साथ बैठे हैं औऱ कुछ खा रहे हैं तो दोनों सिपाहियों ने उन्हे सोशल डिस्टेंस रखने की सलाह औऱ बाहर खुले में न घूमने की ताकीद की।
इस पर परिवार के मुखिया के रुंधे गले से बरबस ही निकल गया कि साहब आज नहीं तो कल वैसे भी भूख औऱ दरिद्रता उनसे उनकी सांसे छीन ही लेंगी। ऐसे में क्या सामाजिक दूरी औऱ क्या खुले में घूमना!
इतना सुनते ही दोनों सिपाहियों के पैरों के तले से जमीन खिसक गयी। पास आकर जब सिपाहियों ने देखा तो पूरा परिवार एक अजीब सा दिखने वाला खाना खा रहा है। जिसे देखकर उनकी भी आंखे भर आयी तो दोनों सिपाहियों ने मानवता धर्म क़ा परिचय देते हुए बिना देर किये बाजार क़ा रुख किया औऱ परिवार क़ो भूखे न रहना पड़े, उसके लिए उनकी आवश्यकता के अनुरूप राशन औऱ जरूरी सामान इस परिवार तक पहुंचाया। साथ ही कोरोना संक्रमण से बचने के लिए मास्क औऱ सेनेटाइजर रहने के लिऐ कुछ जरूरी दवाएं भी उपलब्ध करवायी। राशन औऱ दवाईंया मिलते ही परिवार क़ा चेहरा खिल गया। पुलिस के रूप में मानो उनकी सहायता क़ो साक्षात देवदूत धरती पर उतर आए हों। ऐसे में सरकार क़ो भी गंभीरता औऱ जिम्मेदारी से काम करने की अतिआवश्यकता है। कही ऐसा ना हो कोरोना वायरस के प्रकोप से ज्यादा लोग भूख औऱ बिना इलाज के तड़प तड़पकर न दम तोड़ दे औऱ कई हंसते खेलते परिवार तबाह न हो जाए।