मीडिया प्रभारी राजीव महर्षि ने वर्तमान सरकार को आरोप लगाते हुए कहा कि, वर्ष 2016 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने मलिन बस्तियों के नियमितीकरण को लेकर अधिनियम पारित किया था। जिस पर वर्तमान भाजपा सरकार ने आज तक कोई काम नहीं किया।
अब वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी प्रदेश की 584 अवैध मलिन बस्तियों का तीन वर्ष समय बढ़ाकर 2024 तक नगरीय विकास का कार्य रोक दिया है, ऐसे में मलिन बस्तियों के सुधार, नियमतिकरण, पुर्नवास एवं पुनः व्यवस्थापन जैसे कार्य कैसे किये जाएगें।
राजीव महर्षि ने बताया कि 27 जुलाई 2018 को भाजपा सरकार द्वारा पूर्व के अधिनियम को निरस्त कर अध्यादेश लाया गया तथा तत्पश्चात् 16 अक्टूबर 2018 को महामहिम राज्यपाल द्वारा विधानसभा में पारित उत्तराखण्ड नगर निकायों एवं प्राधिकरणों हेतु विशेष प्राविधान विधेयक 2018 पर अनुमति प्रदान की गई तथा 17 अक्टूबर 2018 को जिसकी अधिसूचना जारी की गई।
उसमें कहा गया था कि नवीन विधेयक की धारा 4 (1) में प्रवत होने की तिथि से तीन वर्ष के भीतर राज्य सरकार मलिन बस्तियों एवं झुग्गी झोपडियों आदि के रूप में हुए अनधिकृत निमार्ण एवं अतिक्रमण जैसी समस्याओं के समाधान हेतु सभी सम्भव प्रयास करेगी।
उक्त अधिनियम के प्रख्यापन के पश्चात् आज तक किसी नियमावली का प्रख्यापन नहीं किया गया। तथा कांग्रेस सरकार द्वारा 2016 में बनाई गई नियमावली पर भी आगे कोई कार्य नहीं किया गया।
पूर्व विधायक राजकुमार ने पत्रकार वार्ता में मलिन बस्तियों को लेकर भाजपा सरकार को घेरा। पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए राजकुमार ने कहा कि वर्ष 1977 से 1980 में जब स्व0 इन्दिरा गांधी जी प्रधानमंत्री थी तब गरीब लोगो की यहाॅ पर बजंर भूमि पडी थी, उसको आबाद करने की मांग हुई तभी से मलिन बस्ती का शुभारम्भ हुआ।
इन्दिरा जी ने मलिन बस्तियों के लिए कई योजनाए बनाई, जिसमें इन योजनाओं को पुरा करने के लिए उस वक्त भारत सरकार से करोडों का फण्ड आता था।
उन्होने कहा कि उत्तराखण्ड नगर निकायों एवं प्राधिकरण हेतु विशेष प्राविधान अधिनियम की धारा 4(1) के तहत इस अधिनियम के लागू होने के 03 वर्ष के भीतर मलिन बस्तियों का समाधान करना था मगर नींद में सोई सरकार ने जब देखा समय सीमा 17 अक्टूबर 2021 को समाप्त हो रही और सरकार कुछ भी नही किया। घबराई सरकार ने जनता को भ्रमित करने के लिए 03 साल का समय बढ़ाकर नगरीय विकास का काम अवरुद्ध करने का काम किया।
उन्होनें बताया कि वर्ष 2016 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा उत्तराखण्ड राज्य के नगर निकायों में अवस्थित मलिन बस्तियों के सुधार, विनियमितिकरण, पुर्नवासन, पुर्न व्यवस्थापन एवं अतिक्रमण निषेध अधिनियम, 2016 लाया गया था। अधिनियम का उद्देश्य नगर निकायों में अवस्थित मलिन बस्तियों के सुधार, विनियमितिकरण, पुनर्वासन एवं पुनर व्यवस्थापन था तत्पश्चात 30 दिसम्बर 2016 को कांग्रेस सरकार द्वारा उत्तराखण्ड राज्य की नगर निकायों में अवस्थित मलिन बस्तियों के सुधार, विनियमितीकरण, पुनर्वासन, पुनर व्यवस्थापन तथा उससे संबंधित व्यवस्थाओं एवं अतिक्रमण निषेध नियमावली 2016 बनाई गई। नियमावली में नगर निकायों में अवस्थित मलिन बस्तियों को नियम 3 द्वारा गठित समिति के अनुसार 3 श्रेणीयों में बाँटा जाना था।
पूर्व विधायक राजकुमार ने कहा कि प्रथम श्रेणी में ऐसी मलिन बस्तियों का वर्गीकरण करना था जिनमें भू-स्वामित्व के अधिकार प्रदान किये जा सके। दूसरी श्रेणी की मलिन बस्तियों में आंशिक भू-स्वामित्व अधिकार प्रदान किये जा सके। तृतीय श्रेणी में ऐसी मलिन बस्तियों का चिन्हीकरण होना था जिनका पुर्नवासध्पुर्नव्यस्थापन किसी वैकल्पिक स्थान पर किया जा सके।
उन्होने बताया कि राज्य में कुल 582 मलिन बस्तियों को चिन्हित किया गया जिसमें से 102 बस्तियों को श्रेणी 1 में चिन्हित किया गया लेकिन उन्हें भी आज तक नियमित नही किया गया। अथार्त अब इन क्षेत्रों का नियमितिकरण वर्तमान भाजपा सरकार नहीं कराना चाहती है। इसीलिए सरकार द्वारा विगत तीन वर्षो में इनके पुनर्वास एवं पुनर व्यवस्थापन पर कोई कार्य नहीं किया गया इसके साथ ही उन्होनें कहा कि यदि मलिन बस्तियों को तोडा़ गया तो कांग्रेस इसका विरोध करेगी।
पत्रकार वार्ता में वरिश्ठ प्रवक्ता डा. आर.पी. रतूडी, प्रदेश प्रवक्ता दीप बोहरा, डा. प्रतिमा सिंह, एवं एआईसीसी सदस्य श्री जयेनद्र रमोला उपस्थित थे।