अभी हाल ही में त्रिवेंद्र सरकार द्वारा खनन नीति में बदलाव कर खनन माफियाओं के लिए रातों-रात विधेयक लाकर खनन पट्टों की गहराई बढ़ाने का काम किया है, जोकि सरकारी राजस्व बढ़ाने की आड़ में व्यक्तिगत राजस्व (काली कमाई) बढ़ाने के लिए किया गया है।
इसके साथ-साथ अवैध भंडारण मामले में जिलाधिकारियों से अधिकार छीनकर अपर जिलाधिकारियों को दिए गए हैं, क्योंकि जिलाधिकारी अक्सर दबाव में नहीं आते थे, इसलिए यह खेल खेला गया है। खनन माफियाओं के हक में नित नए-नए फैसले लिए जा रहे हैं।
उत्तराखंड उप खनिज ( बालू -बजरी-बोल्डर) चुगान नीति 2016 की धारा 3 (च) में खनिज की 1.5 मी.तक चुगान/ निकासी की सीमा थी, लेकिन त्रिवेंद्र सरकार द्वारा उसको बढ़ाकर दोगुना यानी 3 मीटर कर दिया गया।
नेगी ने कहा कि प्रदेश की जनता की जान- माल की फिक्र किए बिना इस विधेयक को लाकर सरकार ने किसानों एवं नदी किनारे बसे लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने का काम किया है। पट्टे यानी नदियों से 3 मीटर (10 फीट) गहराई तक खनिज निकलने से नदी का वेग बढ़ेगा तथा नदी किनारे जमीनों का कटाव होगा, जिससे भविष्य में किसी अनहोनी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
एक पत्रकार वार्ता मे जन संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने इसे दुर्भाग्य की बात बताते हुए कहा है कि सीएम त्रिवेंद्र ने अपना राजस्व (काली कमाई) बढ़ाने के लिए यह खेल खेला है, जबकि न तो पट्टे धारकों और न ही जनता ने इस मामले में कोई आग्रह/ आंदोलन किया है। नेगी ने कहा कि प्रदेश के कर्मचारी महीनों से अपनी मांगों को लेकर आंदोलित हैं तथा प्रदेश का बेरोजगार, किसान, व्यापारी परेशान है, लेकिन इसके लिए आज तक कोई विधेयक नहीं आया। मोर्चा ने राजभवन से मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। पत्रकार वार्ता में- मोर्चा महासचिव आकाश पंवार , नरेंद्र तोमर, मोहम्मद असद, भीम सिंह बिष्ट, सुशील भारद्वाज आदि थे।