भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख और राज्यसभा सांसद एक माह से सोशल मीडिया में नहीं थे।
आज खुद उनके द्वारा सोशल मीडिया पर अस्वस्थ होने की जानकारी दी गयी।
किन्तु अस्वस्थता के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी है।
लुप्त होते लोकपर्व इगास पर एक माह से उनके अभियान का विवरण भी नहीं मिल रहा था, जबकि इगास 8 नवम्बर को है।
सोशल मीडिया पर बलूनी की पोस्ट
बलूनी के खिलाफ निरन्तर हमला करने वाले एक पोर्टल ने उनके पंचायत चुनाव में गांव में वोट न करने पर सवाल उठाये थे। और बलूनी पर निजी आरोप लगाये थे।
दो राज्यों महाराष्ट्र हरयाणा के चुनावों में भी बलूनी की अनुपस्थिति के कारण मीडिया जगत उनकी अस्वस्थता से अनभिज्ञ था।
राज्यसभा में अपने मनोनयन से लेकर एक माह पूर्व तक राज्य के विषयों की केंद्र सरकार में पैरवी करने वाले बलूनी के स्वास्थ्य के उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष, सांसदों को जानकारी न होना बताता कि भाजपा “परिवार” कितना संवेदनशील है।
राज्य में बड़े मौकों पर प्रदेश सरकार औऱ संगठन द्वारा बलूनी की अनदेखी भले ही राजनैतिक विद्वेष से रहती हो किन्तु निजी जीवन मे और विशेषकर अस्वस्थता में ऐसी उदासीनता राज्य के नेताओं के चेहरे से उनके “बड़े” होने का नकाब हटाती है।
एक माह से अपने सर्वाधिक सक्रिय और पावरफुल सांसद की खोजखबर न लेने वाले मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्री और सांसदों की उदासीनता आश्चर्यजनक है।