एमपी, एमएलए को आजीवन पेंशन तो कर्मचारियों को क्यों नहीं? गोलू देवता में हुई शिकायत
एक ओर सरकार जहां जनता से चुने गये जनप्रतिनिधि विधायक, मंत्री को जनता का सबसे बड़ा हितेशी जनसेवक कहती है वहीं दूसरी ओर सरकार अपने इन विधायक, मंत्री व दायित्वधारियों पर सुख सुविधा के नाम पर लाखों रूपये खर्च करती है। बड़ी बात यह है कि, जहां सरकार ने वर्ष 2005 के बाद सभी विभागों में नई नियुक्तियों के तहत कार्य करने वाले कर्मचारियों को पूर्व में दी जाने वाली पेंशन को बंद कर दिया गया है। वहीं दूसरी ओर सरकार ने जनता से चुने हुए जनप्रतिनिधि, विधायक व सांसदों पर सेवाकाल के दौरान तमान सुविधाओं के रूप में लाखों रूपये खर्च करती है। उसके बाद उनको आजीवन पेंशन देती है।
सोचनीय विषय है कि, यदि किसी कारणवश कोई जनप्रतिनिधि कुछ समय के लिए भी विधायक या सांसद निर्वाचित होता है तो भी उनको सरकार आजीवन पेंशन देती है और वहीं 30-35 साल सरकारी सेवा करने के बाद भी अब सरकार ने वर्ष 2005 के बाद नियुक्त हुए कर्मचारियों को पेंशन देना बंद कर दिया है। जिसके लिए कर्मचारी संगठन लगातर आंदोलन की राह पकड सरकार से गुहार लगा रहे है कि, उन्हें पुरानी पेंशन दुबारा बहाल की जाय। आये दिन पुरानी पेंशन को लेकर आंदोलनकारी सरकार के समक्ष धरना प्रर्दशन के माध्यम से अपना विरोध दर्ज करते आ रहे है।
परंतु सरकार द्वारा अभी तक इनकी बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसी को लेकर आज पुरानी पेंशन बहाली को लेकर आंदोलनकारियों ने अब कुमांऊ के प्रसिद्ध चितई गोलू देवता के मंदिर में गुहार लगाई है। आंदोलनकारियों ने गोलू देवता के मंदिर में अर्जी लगाकर सरकार द्वारा उनके उपर अन्याय करने का आरोप लगाया है। पदाधिकारी ने गोलू देवता से प्रार्थना की है कि, सरकार को पुरानी पेंशन बहाल करने के लिए सद्बुद्धि प्रदान करने की कृपा करें। साथ ही आंदोलनकारियों ने सरकार व जनप्रतिनिधियों पर नारजगी व्यक्त की।