2022 के चुनाव नजदीक आ रहें हैं और जैसे जैसे ये समय कम हो रहा हैं वैसे ही राजनीतिक गहमागहमी बढ़ती जा रही हैं ।पार्टी के नेता सोशल मीडिया पर विपक्षी पार्टी पर कटाक्ष करने के लिए किसी भी हद तक जा रहे हैं ।
अब हरदा ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट जारी कर सांप्रदायिक कार्ड खेल दिया बात यही खत्म नहीं हुई अनिल बलूनी ने हरदा की पोस्ट का तीखा जवाब सोशल मीडिया क़े जरिये ही दिया ।
दरअसल पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने आज भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं,यहां तक कि दिवंगत नेता पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी का चित्र जारी कर हिंदू मुस्लिम एंगल पर कुछ चित्रों द्वारा एक उन्मादी फेसबुक पोस्ट जारी की है ।
हरदा ने पहली पोस्ट करते हुए लिखा कि
भाजपाई_दोस्तो, नीचे के कुछ चित्र देखिये। दरगाह में गोल टोपी पहनने से हरीश रावत तो मौलाना हरीश रावत हो गये और घर-घर में आपने वो टोपी वाली मेरी तस्वीर पहुंचा दी। अब जरा मुझे बताइए क्या राजनाथ सिंह जी भी मौलाना राजनाथ सिंह हो गये हैं? अटल बिहारी वाजपेई जी की एक पुरानी फोटो है, क्या इनको भी आप मौलाना अटल बिहारी वाजपेई कहना पसंद करेंगे? मोदी जी की भी एक फोटो है, आपके हिंदुत्व के आईकॉन की, क्या इनको भी आप उसी संबोधन से नवाजेंगे जो संबोधन आपने केवल-केवल मेरे लिए रिजर्व करके रखा है। हिम्मत है तो मेरे साथ इनको भी उसी नाम से पुकारिये।
हरदा यही नहीं रुके और दूसरी पोस्ट कर डाली
भाजपा का सफेद झूठ। मैंने कभी भी जुम्मे की नमाज़ के लिए छुट्टी का ऐलान नहीं किया और न किसी ने मुझसे जुम्मे की नमाज़ के लिए छुट्टी मांगी। हां, हरीश रावत ने सूर्य देव के आराधना के पर्व छठ पर छुट्टी दी। हमारी बहने करवा_चौथ का व्रत रखती हैं, मैंने उस पर छुट्टी दी। मैंने दो महापुरुषों की जयंती पर छुट्टी दी, यहां तक की यदि भाजपाई झूठ न चल पड़ा होता है तो परशुराम_जयंती पर भी मैं छुट्टी करने के विषय में अपनी सहयोगियों से विमर्श कर रहा था। भाजपा के लोगों, काठ_की_हांडी एक ही बार चढ़ती है, 2017 में तुम्हारा यह झूठ चल गया। मगर अब के तुम समय पर सामने आ गये हो तो मेरे झूठ का प्रतिवाद भी लोगों तक पहुंचेगा और लोग पढ़े-लिखे हैं, स्वयं रिकॉर्ड तलाश कर लेंगे, क्या मेरी सरकार ने जुम्मे की नमाज़ का जुम्मा मतलब शुक्रवार की नमाज़ के लिए छुट्टी का ऐलान किया है?
अब हरदा के खेले गए इस साम्प्रदायिक कार्ड पर प्रतिउत्तर करते हुए बलूनी ने लिखा कि
आदरणीय रावत जी,आज आपने फिर बड़ी सफाई के साथ कांग्रेस की डूबती नैया बचाने के लिए हिंदू-मुस्लिम कार्ड खेला है। इस कार्ड को आप अपनी ‘राजनीतिक संजीवनी’ मानते आए हैं। स्वाभाविक है सत्ता पाने के लिए कांग्रेस हर बार इस धार्मिक कार्ड का उपयोग करती आई है। इसके अनगिनत उदाहरण हैं।
जनता जनार्दन सब कुछ जानती है। जनता जानती है कि भाजपा ‘सबका साथ , सबका विकास’ में विश्वास करती है , जबकि कांग्रेस विशुद्ध तुष्टिकरण की राजनीती करती रही है और इसके ज्वलंत उदाहरण आप हैं .
जनता को याद है जब आपने मुख्यमंत्री रहते हुए जुमे की नमाज के लिए छुट्टी का आदेश निकाला था। जनता को याद है जब आप बार-बार विशेष संदेश देने के लिए निरन्तर मुस्लिम धार्मिक स्थानो की यात्रा करते रहते थे, मदरसों का गुणगान करते थे।
हम सभी को देश का नागरिक मानते हैं, सबके लिए बराबर मनोभाव और सम्मान रखते हैं। आज देश मे एक ऐसी सरकार हैं जो बिना भेद-भाव और तुष्टीकरण के के विकास के लिए संकल्पबद्ध है।
आपकी तुष्टिकरण की चालों और नीतियों की जनता को याद दिलाने की जरूरत नहीं है किंतु आप जैसे वरिष्ठ नेता से अपेक्षा रहती है कि उत्तराखंड के विकास के मुद्दे पर आप सार्थक बहस करते, उसका चौतरफा स्वागत होता।
अब हरदा ने भी दांव खेला और बलूनी की पोस्ट का प्रतिउत्तर किया हैं :
हरदा ने पोस्ट में लिखा हैं कि :
बलूनी जी आपकी पोस्ट पढ़ने के बाद मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि ये आपकी पार्टी की सोशल मीडिया टीम के लोग थे, जिन्होंने एक रोजा इफ्तार पार्टी में मेरी पहनी हुई टोपी को लेकर मेरी फोटो वायरल कर धार्मिक प्रदूषण फैलाने की कुचेष्टा की। 2017 के चुनाव में आपकी पार्टी के लोगों ने घर-घर मेरी टोपी पहने हुई फोटो को लोगों को दिखाकर उनकी धार्मिक भावनाओं को उकेरने का कुप्रयास किया। इस बार भी उस कहानी को दोहराना चाहते थे। मेरी नजर में हर वो पहनावा, हर वो टोपी और हर वो पगड़ी हमारी राष्ट्रीय पहचान है जिसको हमारे लोग धारण करते हैं, उसके साथ विद्वेष नहीं जोड़ा जाना चाहिए और आपके जिन नेतागणों की फोटोज टोपी पहने हुये हैं, उनके उस टोपी को पहनने पर मुझे खुशी है कि उन्होंने भारत की समरचता का, सर्वधर्म समभाव का, मिली-जुली संस्कृति का संदेश है उसको मजबूत करने का काम किया है, मेरी नजर में संदेश का काम किया है। आपको अपने घर में जरा तथ्यों को ढूंढ लेना चाहिए बजाय मुझ पर दोषारोपण करने के। दूसरा आपने मुझसे कहा कि मैं, दरगाह-२, मस्जिद-मस्जिद के चक्कर लगाता हूँ। बलूनी जी, हरिद्वार का कोई अखाड़ा, कोई आश्रम, कोई मंदिर ऐसा नहीं है जहां हरीश रावत ने माथा न टेका हो, आप इस तथ्य की भरपाई कर सकते हैं। जितनी बार मैंने केदारनाथ की यात्रा की है और जो कुछ मेरी सरकार ने अभूतपूर्व काम केदारनाथ नगरी के पुनर्निर्माण और वहां के पुनर्वास का किया है, वो सारी दुनिया के सामने है। मैं अपने धर्म का पालन करता हूंँ, निष्ठा से करता हूँ, मैं धार्मिक व्यक्ति हूँ, मगर मेरा धर्म सहिष्णुता की मुझे शिक्षा देता है, मैं दूसरे धर्मों का भी आदर करता हूंँ और उनका भी समान भाव से सम्मान करता हूंँ। आपने मुझ पर आरोप जड़ दिया कि मैंने जुम्मे की छुट्टी की है, जुम्मे का मतलब शुक्रवार की छुट्टी की है ताकि मुसलमान भाई नमाज़ अदा कर सकें। आप उस नोटिफिकेशन को तो मुझे दिखाइए, जिस नोटिफिकेशन में ये छुट्टी की हो, क्योंकि सरकार की छुट्टियां कोई मौखिक नहीं होती हैं, उसका नोटिफिकेशन होता है और कहां छुट्टी हुई है वो जरा सा मुझे बता दीजिये और ये भी आपकी पार्टी का जो मेरे खिलाफ दुष्प्रचार था, 2017 में उसका हिस्सा था। होना तो यह चाहिए था उस दुष्प्रचार के लिए आप क्षमा मांगते बजाय उसके आपने मुझ पर तौहमते जड़ दी। क्योंकि चुनाव में आप इन मुद्दों को हवा देना चाहते थे, मैंने इन मुद्दों की हवा निकाल दी है, अब आपकी पार्टी इन मुद्दों का चुनाव में उपयोग नहीं कर सकती है क्योंकि सारे उत्तराखंड ने हकीकत देख ली है और उन्होंने आपने आपकी हकीकत पहचान भी ली है। आपका जो नारा है, अच्छा हो उस नारे के अनुसार ही आचरण दिखाई दे, तो फिर लोगों को शिकायत कहां रह जाएगी! फिर लड़ाई केवल राजनैतिक हो जाएगी। आप राजनैतिक लड़ाई को धार्मिक विद्वेष के आधार पर लड़ना चाहते हैं, हम राजनैतिक लड़ाई को विकास के प्लेटफार्म पर लड़ना चाहते हैं और मुझे आपकी ये बात बहुत पसंद आई और एक होनहार नौजवान के तौर पर आपके इस कथन का मैं स्वागत करता हूंँ कि 2022 का चुनाव विकास के प्लेटफार्म पर होना चाहिये। मुझे यकीन है कि आपकी पार्टी, आपके इस सार्वजनिक घोषणा पर टिकी रहेगी।
“जय हिंद”।
इस सब से यह साफ हो जाता हैं कि पार्टियों क़े नेता विकास और प्रगति की बाते छोड़कर मात्र वोटों की राजनीती करने में जुटे हैं ।