कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने एन.आई.टी.श्रीनगर को स्थान्तरित करने के मामले में आज सुनवाई करते हुए राज्य, केंद्र सरकार व एन.आई.टी.से दो सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा हैै। मामले में अगली सुनवाई दो सप्ताह के बाद निहित की गई है। जनहित याचिका में सुमाड़ी, नियाल गांव सहित अन्य दो गांवों द्वारा प्रार्थना पत्र देकर पक्षकार बनाने की मांग की थी। खण्डपीठ ने उनको भी पक्षकार बनाने को कहा है। सामाजिक कार्यकर्ता मोहन काला तथा अन्य ग्रामीणों ने अपने प्रार्थना पत्र में कहा है कि उन्होंने श्रीनगर में एन.आई.टी.बनाने के लिए 120 हैक्टेयर जमीन दान में इसलिए दी थी कि यहाँ का विकास हो, लोगों को रोजगार मिले, पलायन पर रोक लग सके। सरकार ने सन् 2009 में वन विभाग से भूमि हस्तांतरण के लिए 9 करोड़ रूपये भी दे दिए और सरकार ने कैम्पस की चाहर दिवारी बनाने के लिए 4 करोड़ रूपये भी खर्च कर दिए थे। उसके बाद भी सरकार एन.आई.टी.को मैदानी एरिया में बनाना चाहती है। पूर्व में आई.आई.टी.रुड़की द्वारा भी इस भूमि का भूगर्भीय सर्वेक्षण किया गया था जिसकी अभी अंतिम रिपोर्ट नही आई है। मामले के अनुसार कालेज के पूर्व छात्र जसवीर सिंह ने नैनीताल उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उनके कालेज को बने 9 साल हो गए है, लेकिन 9 वर्षों के बाद भी उनको स्थाई कैम्पस नही मिला। जिसको लेकर छात्र काफी लंबे समय से स्थाई कैम्पस की मांग कर रहे हैं। सरकार उनकी इन मांगों की तरफ कोई ध्यान नही दे रही है, साथ ही वो अभी जिस जगह पढ रहे हैं वो बिल्डिंग भी जर्जर स्थिति में है। वहां कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है। साथ ही याचिकाकर्ता का कहना है कि कैम्पस की मांग कर रही एक छात्रा की सड़क हादसे में मौत तक हो चुकी है जबकि एक का गंभीर स्थिति में उपचार चल रहा है। उन्होंने मांग की है कि घायल छात्रा का पूरा खर्च राज्य सरकार और एन.आई.टी. वहन करे। सरकार स्थायी कैम्पस की जगह छात्रों को राजस्थान के जयपुर कैम्पस में भेज रही है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगराजन और न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने राज्य सरकार, केंद्र सरकार और एन.आई.टी.प्रबंधन से दो सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा हैै। मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह के बाद होनी तय हुई है ।