गर्वित दानू/पिथौरागढ़
सरकार द्वारा पुलिस कर्मियों की भर्ती शीघ्र किए जाने के आवश्वासन से अब बेरोजगारों का सब्र का बांध टूटने लगा है। सरकार कई बार घोषणा कर चुकी है कि कुंभ मेले से पहले 1500 पुलिसकर्मियों की भर्ती की जानी है, लेकिन बेरोजगार अब तक कई बार पुलिस मुख्यालय व जनपद मुख्यालयों के चक्कर काट चुके हैं, लेकिन वहां से भी उन्हें मात्र ‘शीघ्र की जाएगी भर्ती’ वाला कोरा आश्वासन ही मिल रहा है। ऐसे में कई बेरोजगार युवा भर्ती के लिए ओवरएज हो गए हैं।
बेरोजगारों का कहना है कि एक ओर तीन वर्ष पूर्ण होने पर उत्तराखंड की भाजपा सरकार ‘बातें कम काम ज्यादा’ वाला कार्यक्रम चलाकर यह जता रही है कि इस सरकार ने विकास कार्यों की झड़ी लगाई है, वहीं बेरोजगारों को पिछले तीन सालों से पुलिस भर्ती शीघ्र किए जाने की कोरी घोषणाओं वाली घुट्टी पिलाई जा रही है। ऐसे में प्रदेशभर के पुलिस भर्ती की राह देख रहे बेरोजगारों ने सरकार के ‘बातें कम काम ज्यादा’ वाले अभियान पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यहां तो ‘बातें ज्यादा और काम कम’ हैं।
बेरोजगारों का कहना है कि 2014 से आज तक पुलिस विज्ञप्ति नहीं आई। इस कारण भर्ती की तैयारी कर रहे आधे युवाओं की पुलिस भर्ती की उम्र भी चली गयी है, जबकि सैकड़ों युवाओं की ओवरएज होने वाली है। यही नहीं सामने महाकुम्भ है और उत्तराखंड के पास न के बराबर पुलिस फोर्स है। मुख्यमंत्री की इस पुलिस घोषणा को लगातार अखबार में ही देखा जाता रहा है।
उत्तराखंड में भाजपा सरकार बनते ही सबसे पहले मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह ने उत्तराखंड पुलिस में भर्ती की घोषणा की थी, पर आज तीन साल पूरे हो गए हैं, किंतु आज तक पुलिस भर्ती धरातल पर नजर नहीं आ पाई है। मुख्यमंत्री लगातार कहते रहे हैं कि ‘अगले माह अगले माह’ पुलिस विज्ञप्ति आएगी, पर आज तीन साल पूर्ण हो गए हैं, किंतु आज तक पुलिस भर्ती की विज्ञप्ति नहीं निकाली गई।
बताते चलें कि उत्तराखंड में वर्ष 2014 में पुलिस भर्ती की विज्ञप्ति निकाली गई थी। तब से लेकर आज तक आश्वासनों के अलावा भर्ती नहीं निकाई गई। ऐसे में ओवर एज हो रहे बेरोजगारों का सब्र का बांध टूटने लगा है।
यही नहीं यह संवाददाता स्वयं बीती 24 फरवरी को एडीजी से मिले और पुलिस भर्ती के संबंध में पूछा तो उन्होंने आश्वासन दिया कि मार्च सेकंड वीक में भर्ती पक्रिया शुरू कर दी जाएगी। यही नहीं मुख्यमंत्री ने भी 25 फरवरी को पुलिस भर्ती को हरी झंडी दे दी थी, लेकिन फिर भी यह प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही है। ऐसे में पुलिस भर्ती तैयारी कर रहे बेरोजगार युवा अपने को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। जिसका खामियाजा भाजपा सरकार को आगामी 2022 में देखने को मिलेगा।