प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने पूछा उत्तराखंड में सरकार है भी या नहीं
उत्तराखंड के वयोवृद्ध श्रमजीवी पत्रकारों को पेंशन देने के मामले में भेदभाव एवं निष्पक्ष तथा बेवाक पत्रकारों को हतोत्साहित करने की शिकायत की सुनवाई के दौरान प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने राज्य के सूचना एवं लोक संपर्क विभाग के साथ ही राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए टिप्पणी की है कि, आखिर उत्तराखंड में कोई सरकार चल रही है या नहीं! यही नहीं काउंसिल ने राज्य के महानिदेशक सूचना एवं लोक संपर्क विभाग को काउंसिल की अगली सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने के आदेश भी पारित किए हैं।
न्यायमूर्ति सीके प्रसाद की अध्यक्षता में बुधवार को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की जांच कमेटी की बैठक में उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत की शिकायत पर सुनवाई के दौरान पूछा गया कि, पत्रकार कल्याण कोष की समिती की बैठक 2017 से लेकर 2019 तक क्यों नहीं की गई ? इस पर सूचना विभाग की ओर से कहा गया कि, राज्य में विधानसभा एवं लोकसभा चुनावों की आचार संहिता के कारण पत्रकार कल्याण कोष की बैठक नहीं हो सकी।
सूचना विभाग की प्रतिनिधि ने प्रेस काउंसिल की जांच कमेटी को यह भी सूचित किया कि, इस कमेटी की अध्यक्षता सूचना मंत्री को करनी होती है और सूचना मंत्रालय का प्रभार स्वयं मुख्यमंत्री के पास है, इसलिए बैठक के लिए उनसे समय नहीं मिल पाया। इस पर प्रेस काउंसिल के अध्यक्ष न्यायमूर्ति सीके प्रसाद ने पूछा कि, आखिर उत्तराखंड में कोई सरकार चल भी रही है या नहीं है? जब राज्य के सूचना मंत्री के पास पत्रकारों के कल्याण के संबंध में बैठक करने के लिए भी 2 साल से समय नहीं है तो वहां किस तरह की सरकार चल रही होगी?
प्रेस काउंसिल की जांच कमेटी के सदस्यों द्वारा वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत द्वारा पत्रकार पेंशन की सभी शर्तें पूरी करने एवं समस्त आवश्यक कागजात जमा करने के बाद भी सरकार द्वारा पेंशन स्वीकृत न किए जाने का कारण पूछे जाने पर सूचना विभाग की ओर से संतोषजनक उत्तर न मिलने पर भी जांच कमेटी ने कड़ी आपत्ति दर्ज की। इस पर न्यायमूर्ति सीके प्रसाद ने उत्तराखंड के सूचना एवं लोक संपर्क विभाग के महानिदेशक को काउंसिल की अगली बैठक मैं व्यक्तिगत रूप से पूरे तथ्यों सहित हाजिर होने के आदेश पारित किए।
बैठक में काउंसिल की जांच कमेटी के अधिकांश सदस्यों ने सूचना एवं लोक संपर्क विभाग के लिखित उत्तर पर असंतोष प्रकट करने के साथ ही आशंका जताई कि, वरिष्ठ पत्रकार जय सिंह रावत को उनके निष्पक्ष एवं बेबाक लेखन के कारण सूचना विभाग उनको सबक सिखाना चाहता होगा, वरना उनको पेंशन देने में ऐसी टाल बराई नहीं की जाती। सदस्यों ने कुछ पत्रकारों को पेंशन स्वीकृत करने एवं बाकी को टाल देने पर भी आपत्ति जताई और माना कि यह संविधान में प्रदत्त समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।