उत्तराखंड में 5 करोड से अधिक काम हो में हुए घोटालों पर पर्दा डालने के लिए आप उत्तराखंड सरकार की सबसे पावरफुल नौकरशाह ओम प्रकाश नई कंपनी को उठा लाए हैं जिसका काम होगा उत्तराखंड में 5 करोड़ से अधिक की लागत से हुए निर्माण कार्यों पर टेस्टेड ओके की मोहर लगाना।
सरकारी विभाग काम करेंगे और मजाक देखिए कि वो 5 करोड़ के काम का मूल्यांकन करेगी। ऐसे मे आप समझ सकते हैं कि खेल क्या हो सकता है !
कल अगर आपको अखबारों में इस कंपनी का गुणगान देखने को मिले तू चौंकिएगा मत। श्रीराम कंसलटेंट प्राइवेट लिमिटेड नाम की यह कंपनी लोक निर्माण विभाग के द्वारा कराए गए कामों का मूल्यांकन करेगी।
अहम सवाल यह है कि अब तक इस तरह की जांच लोक निर्माण विभाग अथवा शासन स्तर पर कराई जाती थी फिर आखिर ऐसा क्या हो गया कि इसके लिए एक प्राइवेट कंपनी श्री राम कंसलटेंट प्राइवेट लिमिटेड को हायर करना पड़ रहा है।
सवाल यह भी है कि क्वालिटी कंट्रोल से संबंधित कई सरकारी संस्थान भी यही काम करते हैं और आईआईटी रुड़की से लेकर तमाम ऐसे संस्थान है। इस प्राइवेट कंपनी को भी इस काम के लिए मोटा खर्चा दिया जाएगा, फिर भला यह काम उत्तराखंड की किसी सरकारी एजेंसी से ही क्यों नहीं कराया जा रहा है !
अपर मुख्य सचिव मा. मुख्यमंत्री ओम प्रकाश ने बताया कि
यह मूल्यांकन दो चरण में किया जायेगा। जिसमें प्रथम चरण में योजना का 50 प्रतिशत कार्य पूर्ण होने तथा द्वितीय चरण में योजना का 100 प्रतिशत कार्य पूर्ण होने पर मूल्यांकन किया जायेगा।
मूल्यांकन श्री राम कन्सल्टैन्ट प्रा. लि. से कराये जाने हेतु आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित किये जाने के लिए उनके द्वारा प्रमुख अभियन्ता लोक निर्माण विभाग, उत्तराखण्ड देहरादून को पत्र प्रेषित कर दिया गया है।
इस योजना के अन्तर्गत सड़क निर्माण, पुल निर्माण एवं भवन निर्माण आदि के कार्य कराये जाते हैं।
उन्होंने बताया कि राज्य बनने के बाद प्रथम बार राज्य सेक्टर के अन्तर्गत स्वीकृत (नाबार्ड से वित्त पोषित योजनाओं सहित) रू 5.00 करोड़ से अधिक लागत के कार्यों की गुणवत्ता का मूल्यांकन श्री राम कन्सल्टैन्ट प्रा0 लि. से कराया जायेगा। उन्होंने बताया कि विभागीय जाँच तो अधीक्षण अभियन्ता/मुख्य अभियन्ता से करायी जाती ही है। उन्होंने कहा कि यदि श्री राम कन्सल्टैन्ट प्रा. लि. द्वारा जाँचोपरान्त रिपोर्ट मिलने पर विभागीय जाँच करने वाले अधिकारियों की जाँच में पारदर्शिता नहीं मिलेगी तो उनके विरूद्ध भी कार्यवाही शासन स्तर पर की जायेगी।
लोक निमार्ण विभाग के टेक्निकल एड़वाईजर आर.पी.भट्ट ने बताया कि वर्ष 2014 से लोक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियन्ता एवं मुख्य अभियन्ता द्वारा जो कार्य उनको शासन/एच.ओ.डी. कार्यालय से आवंटित होते थे उनकी गुणवत्ता की जाँच उनके द्वारा की जाती थी।
उन्होंने बताया कि सामान्य रूप से एक मुख्य अभियन्ता को 04 कार्यों की जाँच तथा अधीक्षण अभियन्ता को भी 04 कार्यों की जाँच करने का आदेश शासन द्वारा जारी किया गया था, जो 03 प्रकार की श्रेणी की होती थी। प्रथम दृष्टतया संतोषजनक, द्वितीय कार्य में सुधार की आवश्यकता तथा तृतीय श्रेणी अधोमानक कार्य की है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में शासन स्तर से कुछ जाँचें उच्चाधिकारियों से करायी गयी तो पाया गया कि कुछ कार्यों की गुणवत्ता अधोमानक पायी गयी जब कि विभाग की तरफ से ऐसा कोई उल्लेख नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि ऐसे अधिकारियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की जायेगी।