भाजपा के मंत्री और सांसद एक ऐसे अफसर के लिए सिफारिश लेटर लिख रहे हैं, जो अपने घर से होने वाली करोड़ो की चोरी की सुचना पुलिस तक को नहीं दे रहा हैं । जिससे साफ होता हैं कि ये पैसा उसने कितनी मेहनत से कमाया होगा । भाजपा का असली चेहरा यही हैं कि वो हमेशा से ही भ्रस्टाचार में लिप्त अफसरों के लिए सिफारिशें करती रहती हैं ।
दरअसल मामला उत्तराखंड राज्य परिवहन विभाग के रिटायर्ड संभागीय निरीक्षक आलोक गुप्ता को सेवा विस्तार देने से जुड़ा हैं।आलोक गुप्ता बीते 31 जुलाई को रिटायर हो चुके हैं।
आलोक गुप्ता की सियासी पकड़ कितनी मजबूत हैं यह इससे पता चलता हैं कि,आलोक गुप्ता को रिटायरमेंट के बाद एक साल का सेवा विस्तार देने के लिए बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने 17 जून को मुख्यमंत्री को सिफारिशी पत्र लिखा।उसमे वो लिखते हैं कि आलोक गुप्ता को वो व्यक्तिगत रूप से जानते हैं। वो एक मेहनती, कार्यकुशल, व्यवहार कुशल और तकनीकी कार्यों में निपुण अधिकारी हैं, लिहाजा इनका एक साल का सेवा विस्तार राज्य एवं विभाग के हित में होगा।
साथ ही दस जुलाई को सरकार के कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने भी आलोक गुप्ता के समर्थन में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था ।उन्होंने पत्र में लिखा कि ,आलोक गुप्ता ईमानदार, मेहनती और व्यवहाकुशल हैं ।
पूर्व में केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट और मदन कौशिक भी आलोक गुप्ता को सेवा विस्तार देने का आग्रह कर चुके हैं ।
उत्तराखंड राज्य परिवहन विभाग के रिटायर्ड संभागीय निरीक्षक आलोक गुप्ता के सेवा विस्तार का यह मामला क्यों तूल पकड़ रहा हैं यह बताते हैं ।
आलोक गुप्ता के घर में 26 मई, 2019 को डकैती पड़ी थी । डकैत आलमारी और बेड के नीचे रखे एक करोड़ 31 लाख रुपए लूटकर ले गए थे, लेकिन आलोक गुप्ता ने इसकी किसी को कानों-कान खबर नहीं लगने दी ।
इसके बाद 22, सितंबर 2019 में अभिमन्यू क्रिकेट एकेडमी के संचालक आर.पी ईश्वरन के घर पर भी डकैती की वारदात सामने आई । पुलिस ने इसकी जांच करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार किया तो उन्होंने पूछताछ में बताया कि 26 मई को भी उन्होंने देहरादून के वसंत विहार इलाके स्थित एक घर में डकैती डालकर एक करोड़ 31 लाख की कैश लूटी थी ।
पुलिस निशानदेही के लिए जब आरोपियों को घटनास्थल पर ले गई तो पता चला कि वो घर आरटीओ से जुड़े एक अधिकारी का है । यह अधिकारी संभागीय निरीक्षक आलोक गुप्ता थे । आलोक गुप्ता ने इतनी बड़ी रकम की डकैती होने की पुलिस को सूचना नहीं दी थी ।
अब सवाल यह उठता हैं कि अगर इतनी ज्यादा रकम आलोक गुप्ता की थी तो पुलिस से यह बात क्यों छिपाई।
दरअसल अगर आलोक गुप्ता पुलिस को सुचना देते तो घर से लूटी गई करोड़ों की नगदी की डिटेल देनी पड़ती। सवाल उठता है कि आलोक गुप्ता के घर डेढ़ करोड़ की नगदी कहां से आई थी।
अब जिस अफसर के घर से एक करोड़ 31 लाख की नकदी लूटी गयी और उसने पुलिस को सुचना नहीं दी ,उसके लिए भाजपा मंत्री सांसद इस तरह के पत्र लिखेंगे जिसमें एक भ्रस्टाचार में लिप्त अफसर को ईमानदार बताएंगे तो सत्तारूढ़ बीजेपी विपक्ष के निशाने पर तो आ ही जाएगी ।