सड़क निर्माण में क्षतिग्रस्त भवन के प्रतिकर के लिए भटक रहा सुपल दास
उत्तरकाशी। आपने मुआवजा के भुगतान के ऐसे कई किस्से सुने होंगे जब एक ही निर्माण का कई बार भुगतान हो जाता है अथवा क्षतिग्रस्त संपत्ति का स्वामी न होने के बावजूद भुगतान कर दिया जाता है, किंतु आज एक ऐसे किस्से से रूबरू करवा रहे हैं, जहां एक गरीब व्यक्ति के मकान का आकलन पहले विभाग ने तीन लाख 31 हजार रुपए किया और जब देखा कि इस गरीब का कोई नहीं है तो वही आकलन घटाकर मात्र 95 हजार रुपए कर दिया।
सुपल दास पर्वतजन को बताते हैं कि उनके धरासू-चिन्यालीसौड़-जोगथ मोटरमार्ग के किमी. 34 से जोगथ मल मोटर मार्ग स्टेज (वीएसटी) पर दो आवासीय/व्यावसायिक कमरे हैं, जो कि पीएमजीएसवाई मोटरमार्ग निर्माण के अंतर्गत क्षतिग्रस्त हुए हैं।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के मोटरमार्ग निर्माण कार्य के अंतर्गत सुपल दास का मकान क्षतिग्रस्त हुआ है। पहले 3.31 लाख आकलन किया गया, फिर अकारण 0.95 लाख का प्रतिकर का आगणन विभाग द्वारा तैयार किया गया है। इस पर सुपलदास गहरी नाराजगी जता रहे हैं।
उक्त कमरों के साथ-साथ मकान की आगे पीछे की दीवारों में भी क्षति हुई है। राजस्व उपनिरीक्षक जोगथ, तहसीलदार चिन्यालीसौड़ से उप जिलाधिकारी डुण्डा द्वारा जांच करवायी गई। जांच सुस्पष्ट संबंधित राजस्व विभाग व तहसीलदार द्वारा संम्पन की गई। 5 सितंबर 2018 तथा संबंधित विभाग से आकलन तैयार करवाकर प्रार्थी को उचित मुआवजा दिलाए जाने की संस्तुति की गई।
उप जिलाधिकारी डुण्डा व जिलाधिकारी उतरकाशी द्वारा संबंधित विभाग को 10 सितंबर 2018 को प्रार्थी को उचित मुआवजा दिलाये जाने हेतु आदेश पारित किया गया तथा संबंधित विभाग द्वारा उपरोक्त परिसंपत्ति को होने वाली क्षति के प्रतिकर आकलन हेतु ग्रामवासियों के साथ विभागीय अधिकारीयों एवं कर्मचारियों द्वारा संयुक्त निरीक्षण किया गया तथा आगणन कुल रुपए 3.31 लाख का गठित कर प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति हेतु उच्चाधिकारियों को प्रेषित किया गया, लेकिन कुछ समय बाद संबंधित पीआईयू के कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा अकारण प्रार्थी के भवन का प्रतिकर की लागत घटाकर मात्र 0.95 लाख कर दी, जो कि न्यायोचित नहीं है।
प्रार्थी द्वारा उक्त प्रकरण को अधीक्षण अभियंता पीएमजीएसवाई लोनिवि मसूरी और मुख्य अभियंता यूआरआरडीए, पीएमजीएसवाई देहरादून के समक्ष रखा गया तो उक्त अधीक्षण अभियंता पीएमजीएसवाई लोनिवि मसूरी द्वारा 18 अक्टूबर 2019 को अधिशासी अभियंता पीएमजीएसवाई चिन्यालीसौड़ को आदेश पारित किया गया तथा उच्चाधिकारियों को अवगत कराने के उपरांत भी संबंधितों द्वारा प्रतिकर की लागत केवल 0.95 लाख ही रखी गयी है, जो कि न्यायोचित नहीं है। पीडि़त सुपल दास ने उन्हें न्याय दिलाने की मांग की है।