इंद्रजीत असवाल
उत्तराखंड सरकार भले ही अखबारों में विज्ञापन देकर यह दावा कर रही है कि उसने गांव गांव में सड़क पहुंचा दी है, लेकिन हकीकत यह है कि पौड़ी के नैनीडांडा में दो-दो बार उद्घाटन के बावजूद सड़क नहीं बनी तो कहीं द्वाराहाट के दूनागिरी गांव में 30 साल से लोग अपनी सड़क को पक्की करने के लिए लगातार संघर्षरत हैं।
वही पिथौरागढ़ के जिला मुख्यालय से सटे हुड़ोती गांव में आज भी सड़क न होने के कारण बीमारों को कंधे कर उठाकर लाना पड़ता है।
थोड़ी विस्तार मे जाते हैं
द्वाराहाट की एक सड़क की करुण कहानी
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 2013 में सड़क प्रस्ताव आने के बाद भी ग्राम नायल, द्वाराहाट के निवासियों को तीस साल से पक्की सड़क की सुविधा उपलब्ध नही है।
सड़क होगी तो जुड़ेगा स्कूल
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत दूनागिरी ग्राम में निर्माणाधीन 10 किमी सड़क के लिए जुलाई 2013 में ग्रामसभा नायल ने अनापत्ति प्रमाण पत्र सरकार को सौप दिया था तथा रु 631.14 लाख स्वीकृत भी हुआ ।
परंतु 5 साल बीतने के बाद भी 1 इंच सड़क का निर्माण नही हो पाया है।
पुणे में कार्यरत इसी गांव के निवासी महेंद्र सिंह राणा ने 2019 से इस मामले को लेकर भारत सरकार तथा उत्तराखंड सरकार के विभिन्न मंत्रालयों तथा विभागों में शिकायतें दर्ज करनी शुरू की। जब इस मामले का अध्ययन किया तो पता चला कि परियोजना का प्रस्ताव फरवरी 2016 में वन विभाग को भेजा गया था ।
इस परियोजना के लिए पर्यावरण सुरक्षा एक्ट 1986 के तहत स्वीकृति भी आवश्यक नही है परंतु फिर भी मार्ग की वन भूमि की सामान्य सैद्धान्तिक स्वीकृति की फ़ाइल वन विभाग के दफ्तरों में पिछले 5 साल से अनावश्यक रूप से चक्कर काट रही थी।
विभिन्न स्तरों पर अनेक शिकायत दर्ज कराने तथा निरंतर फॉलो करने के बाद प्रशासन की नींद कुछ खुली तथा जुलाई 2020 में वन विभाग ने स्टेज 1 की स्वीकृति दी।
शहर से सटे गांव भी नही पंहुची सड़क। डोली कंधे पर रखकर महिला को पहुंचाया अस्पताल
पिथौरागढ़ मे एक दम जिले से सटा गाँव है जो आज भी सड़क से महरूम है, जहां सड़क के अभाव में ग्रामीण युवाओं द्वारा एक घायल महिला को उपचार के लिए डोली में बिठाकर सड़क तक लाया गया।
मिल रही जानकारी के अनुसार रविवार की सुबह हुड़ेती गांव में एक 53 वर्षीय महिला रेवती उप्रेती अपने घर के ही पास जानवरों को चारा डाल रही थी इसी दौरान अचानक उनका पैर फिसला और वह गिर गई। जिसके आनन फानन में गांव के युवाओं ने उन्हें डोली के सहारे एक किमी पैदल चलकर मुख्य सड़क तक पहुंचाया। जहां से उन्हें वाहन से अस्पताल पहुंचाया गया।
गाँव वालों का कहना है कि वह कई सालों से सड़क की मांग कर रहे हैं। लेकिन प्रशासन है कि आंख कान बंद किये बैठा है जिसके चलते आज भी मुख्य मार्ग तक पहुंचने के लिए ग्रामीणों को आधा से एक किमी पैदल चलना पड़ता है। जबकि रात अधरात बीमारों-गर्भवतियों को डोली के सहारे ही सड़क तक पहुंचाया जाता है।
PWD व PMGSY ने फूंके करोड़ों,फिर सड़क के बुरे हाल
पौड़ी: आज हम आपको जिस सड़क का मामला बता रहे हैं ये नैनीडांडा ब्लॉक की है हमे यहाँ से स्थानीय समाजसेवी श्री सतीश चंद्र ध्यानी जी ने बताया कि ,इस सड़क का लोकार्पण दो दो बार हो चुका है ,पर तब भी ये सड़क पूरी तरह नही बन पाई है। सड़क का नाम “जड़ाऊखांद से मझेडा बैंड”
“जड़ाऊखांद से मँजेडा बैंड” यह रोड़ आज से लगभग 20-25 साल पहले PWD के खाते में ही स्वीकृत हुई थी। प्रथम कटान 3 सालों में,चरणबद्ध तरीके से हुआ भी।
उसके बाद इस रोड़ में झमेलों का दौर शुरू हो गया।
विगत बर्ष,माननीय,मुख्यमंत्री जी दोनों पुलों का उद्घाटन भी ब्लॉक हेडक्वाटर नैनीडांडा में बैठे बैठे ही कर गये।
बहुत ही जनउपयोगी रोड़ थी यह,क्योंकि ये कई गांवों को जोड़ते हुए निकली थी।
इसके बीच का हिस्सा 6 किलोमीटर अभी भी पूरा न हो सका अतःरेगुलर बस का फायदा आम जनता को अभी तक भी नहीं मिल पा रहा है।
तो यह है डबल इंजन सरकार की विकास गंगा। किंतु उत्तराखंड सरकार सड़कों पर ध्यान देने के बजाय अखबार में विज्ञापन छपवा कर गांव गांव सड़क पहुंचा रहे हैं।