कमल जगाती, नैनीताल
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कोरोना संकटकाल में सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों द्वारा अभिभावकों से फीस लेने के खिलाफ दायर जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए निजी विद्यालय संचालकों से शिक्षा सचिव को प्रत्यावेदन देने और सरकार को दो मई 2020 के शासनादेश में एक सप्ताह के भीतर आवश्यक संशोधन कर नया शासनादेश जारी करने को कहा है ।
जनहित याचिकाकर्ताओं कुंवर जपिन्द्र सिंह व अन्य की तरफ से दायर जनहित याचिका में कहा गया कि कोरोना काल में सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों की तरफ से अभिभावकों से ट्यूशन फीस के अलावा अन्य क्रियाकलापों के लिये फीस की मांग की जा रही है । दो मई को सरकार ने एक शासनादेश जारी कर निजी व अर्द्ध सरकारी विद्यालयों को ट्यूशन फीस लेने की अनुमति दी थी।
इस शासनादेश को देहरादून निवासी कुंवर जपिन्द्र सिंह ने न्यायालय में चुनौती देते हुए ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर सवाल उठाए थे। इस याचिका की सुनवाई में न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में कहा था कि कोई भी विद्यालय अभिभावकों को जबरन फीस के लिये बाध्य नहीं करेगा।
साथ ही सरकार को निर्देश दिया था कि वो जिलेवार शिक्षा अधिकारियों को इस पूरे मामले में नोडल अधिकारी बनाये तांकि उनके जरिये अभिभावकों की समस्त शिकायतें दर्ज कराई जा सके। इस आदेश के अनुपालन में सरकार ने शिक्षा अधिकारियों को नोडल अधिकारी नामित कर शिकायतों को सुना और जो स्कूल फीस को लेकर दवाब बना रहे थे, उनको नोटिस जारी कर उचित कार्यवाही की।
आज मामला दोबारा सुनवाई पर आया और न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मामले में दायर याचिका को निस्तारित करते हुये विद्यालय संचालकों को अपना प्रत्यावेदन शिक्षा सचिव के समक्ष रखने व सरकार को एक सप्ताह के भीतर नया शासनादेश जारी करने को कहा।