एक्सक्लूसिव : आयुष अनुभाग अधिकारियों का सचिव के विरुद्ध बिगुल
तीनो अधिकारियों ने किया सचिवालय प्रशासन विभाग में समर्पण
कुलदीप एस राणा
मंगलवार देर शाम आयुष अनुभाग में एक बेहद निराशाजनक घटनाक्रम में ,सचिव आयुष पर खराब कार्य प्रणाली एवम हठधर्मिता का आरोप लगाते हुए आयुष अनुभाग के अनुभाग अधिकारी दीपक जोशी एवम दोनों समीक्षा अधिकारी शैलजा सिंह व सुनील मेवाड़ ने स्वयं को सचिवालय प्रशासन विभाग के समक्ष समर्पण का अनुरोध कर दिया।
दीपक जोशी के आयुष अनुभाग में जॉइन करने के बाद से आयुर्वेद विभाग में भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध जिस तरह से ताबड़तोड़ कार्यवाही हुई उसके बाद से आयुष विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का गुट जो इन भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण प्रदान करने का कार्य करता रहा था, तिलमिलाया हुआ था।
उक्त अधिकारियों का यह गुट अपर मुख्य सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी से भी अनुभाग में दीपक जोशी से लेकर शैलजा व सुनील को हटाये जाने के प्रयासों के क्रम में मुलाकात भी कर चुका था। गौरतलब है कि भ्रष्टाचार के आरोप के कारण विभागीय मंत्री हरक सिंह के अनुमोदन पर निदेशक के पद से हटाये गए डॉ अनूप त्रिपाठी सचिव आर के सुधांशु के काफी करीबी माने जाते रहे हैं। शायद यही कारण है कि पद से हटाए जाने के बाद अभी तक उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी नही किया है।
सचिवालय के गलियारों में तो यहां तक चर्चा है कि त्रिपाठी की निदेशक के पद पर वापसी के लिए ही यह सारा जाल बिछाया जा रहा है, क्योंकि आयुष अनुभाग के उक्त तीनों अधिकारियों के रहते सचिव का यह सपना साकार होने सम्भव नही दिख रहा था । नियम विरुद्ध तरीके से रजिस्ट्रार होम्योपैथिक के पद पर नियुक्त डॉ शैलेन्द्र पांडे की कारगुजारियों की पर्वतजन में खबर छपने बाद से उक्त खबर के सन्दर्भ में भी जब अनुभाग ने फ़ाइल तैयार की तो विभाग के ही एक अधिकारी जो पहले से ही विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों के संरक्षक के रुप में विख्यात है डॉ पांडेय को बचाने की जुगत भिड़ाने में लग गए।
यहां आपको बताते चके कि मृत्युजंय मिश्रा को सलाखों के पीछे पंहुचाने से लेकर उसे मूल विभाग में पहुंचाने के पीछे आयुष अनुभाग के दीपक जोशी, शैलजा सिंह व सुनील मेवाड की ही मेहनत थी।
उक्त तमाम भ्रष्ट अधिकारियों के विरुद्ध शासन की कार्यवाही हेतु अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाहन करना तीनों अनुभाग कर्मियों को भारी पड़ने लगा था। जैसा कि तीनो अधिकारियों द्वारा अपने समर्पण पत्र में उल्लेखित किया है कि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा दुर्भावना से ग्रसित होकर पत्रावलियों में आपत्तियां लगा कर मानसिक उत्पीड़न करना इसी क्रम में प्रतीत होता है।
शासन के कार्यक्षेत्र में महत्वपूर्ण कड़ी माने जाने वाले समीक्षा अधिकारी व अनुभाग अधिकारियों का इस प्रकार क्षुब्ध होकर विभाग में समर्पण करना सचिवालय में व्याप्त भ्रष्टाचार को दर्शाता है।