जगदम्बा कोठारी
वीर चन्द्रसिंह गढवाली राजकीय आयुर्विज्ञान एवं शोध संस्थान, श्रीनगर गढवाल काॅलेज एक बार फिर विवादों मे घिरता जा रहा है। इस बार विवाद का कारण मेडिकल काॅलेज द्वारा हाईकोर्ट के आदेश को दरकिनार कर मनमाने तरीके से 519 पदों पर आउट सोर्सिंग के तहत ई टेंडर निकालने के कारण पहले से कार्यरत कर्मियों के निशाने पर है।
दरअसल राजकीय मेडिकल काॅलेज श्रीनगर मे पिछले आठ से दस सालों से प्रदेश के 450 स्थानीय बेरोजगार कार्यरत हैं। इन रोजगार पाये कर्मियों मे लगभग 200 संविदा, 80 के करीब नियत, 120 वेतन भोगी और लगभग 50 के करीब उपनल के माध्यम से कार्यरत हैं। एक वर्ष पूर्व भी मेडिकल काॅलेज ने इन्ही पदों पर ई टेंडर के माध्यम से 519 पदों के लिए निविदा निकाली थी। जिस पर काॅलेज मे पूर्व से कार्यरत इन्ही कर्मचारियों मे से 300 कर्मचारियों ने उच्च न्यायालय मे आपत्ति दर्ज की थी। इसके बाद उच्च न्यायालय ने 27 फरवरी 2019 को काॅलेज प्रशासन को आदेशित किया था कि उच्च न्यायालय मे पहुंचे सभी पदों पर कार्यरत कर्मियों को यथावत रखकर शेष रिक्त पदों पर आउट सोर्सिंग के तहत भर्ती प्रक्रिया जारी रखी जाए, लेकिन शुक्रवार 19 दिसंबर को काॅलेज के प्राचार्य द्वारा 519 पदों के लिए फिर से ई निविदायें मांगी हैं, जिन पर कोर्ट से स्टे पाये लगभग 300 कर्मचारियों में आक्रोश होना लाजिमी है। इन कर्मचारियों का आरोप है कि मेडिकल काॅलेज कोर्ट का स्टे पाये सभी तीन सौ कर्मचारियों को मनमाने तरीके से ठेकेदारी प्रथा मे डाल रहा है। जिसका कि सभी कर्मी पुरजोर विरोध करेंगे।
मामले की अगली सुनवाई फरवरी 2020 में है। केस अभी हाईकोर्ट में चल रहा है, लेकिन काॅलेज प्रशासन द्वारा हाईकोर्ट के आदेशों को अनदेखा कर गलत तरीके से अन्य माध्यम से विगत दस सालों से लगे अन्य कर्मियों के पदों को भी आउट सोर्सिंग पर डालने से काॅलेज प्रशासन विवादों में घिर गया है।
वहीं जब पर्वतजन ने मेडिकल काॅलेज के प्राचार्य से इस विषय में बातचीत करनी चाही तो उनका इस मामले में गोलमोल जवाब रहा। प्राचार्य चन्द्र मोहन सिंह रावत ने कहा कि कोर्ट के दिशा निर्देश का पालन कर ही इन पदों पर निविदायें मांगी गयी हैं।