पर्वतजन की खबर का एक बार फिर बड़ा असर हुआ है। पर्वतजन ने प्रमुखता से सरकार व सुभारती की सांठगांठ की खबर उठाई थी कि पुराने जानकर वकील के स्थान पर सुप्रीम कोर्ट में सरकार को 97 करोड़ का चूना लगाने की तैयारी चल रही है। जिस पर इतनी आग लगी कि खबर पार्टी हाईकमान तक भी पहुँची और सरकार को आदेश हुआ कि वकील वापस बदलो।
अब मरते क्या न करते वाली कहावत चरितार्थ हुई और सरकार को वापस एडवोकेट जनरल जेके सेठी को भी सुप्रीम कोर्ट में कल खड़ा करना पड़ा और पर्वतजन की इस खबर का फायदा यह हुआ कि 97 करोड़ की रिकवरी पर सुभारती को स्टे नहीं मिल पाया। तब सुभारती के वकील ने प्रथम भुगतान रिकवरी राशि कम करने की मांग की। उल्टा सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय नैनीताल का आदेश सही ठहराते हुए कहा कि 25 करोड़ की जगह 15 करोड़ 10 दिन के भीतर सुभारती जमा करे।
आपको बता दें कि यदि सुभारती 10 दिन में 15 करोड़ नहीं जमा करेगा तो राज्य सरकार सुभारती के संचालकों को गिरफ्तार करने के साथ ही सुभारती की देहरादून से मेरठ तक सारी संपत्ति कुर्क कर सकती है, क्योंकि देहरादून में सुभारती की सम्पति सिर्फ झाझरा में है और कोटड़ा संतौर नंदा की चौकी की जमीन मनीष वर्मा की है। जिस पर सुभारती ने खरीदने का अग्रीमेंट किया था जिसमे लिखी शर्ते सुभारती की तरफ से फेल हो गई थी और अग्रीमेंट में लिखे चैक बाउंस हो गए थे। व सुभारती ने उनके बैंकों की देनदारी भी नहीं दी।
सुभारती की झाझरा की संपत्ति की कीमत भी 4 से 5 करोड़ से ऊपर नहीं है और उसमे गोल्डन फोरेस्ट का विवाद भी भी बताया जा रहा है। जिसके आज की मंदी की स्थिति में 1 से 2 करोड़ से ऊपर नहीं मिलेगा। लिहाजा देहरादून की आंच मेरठ पहुंचनी तय है।
पर्वतजन के पाठकों ने राज्य का 97 करोड़ सुरक्षित करने व सही खबर छापने के लिए जिसका असर भी हुआ है, के लिए पर्वतजन टीम को बधाई दी है।
अब मरते क्या न करते वाली कहावत चरितार्थ हुई और सरकार को वापस एडवोकेट जनरल जेके सेठी को भी सुप्रीम कोर्ट में कल खड़ा करना पड़ा और पर्वतजन की इस खबर का फायदा यह हुआ कि 97 करोड़ की रिकवरी पर सुभारती को स्टे नहीं मिल पाया। तब सुभारती के वकील ने प्रथम भुगतान रिकवरी राशि कम करने की मांग की। उल्टा सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय नैनीताल का आदेश सही ठहराते हुए कहा कि 25 करोड़ की जगह 15 करोड़ 10 दिन के भीतर सुभारती जमा करे।
आपको बता दें कि यदि सुभारती 10 दिन में 15 करोड़ नहीं जमा करेगा तो राज्य सरकार सुभारती के संचालकों को गिरफ्तार करने के साथ ही सुभारती की देहरादून से मेरठ तक सारी संपत्ति कुर्क कर सकती है, क्योंकि देहरादून में सुभारती की सम्पति सिर्फ झाझरा में है और कोटड़ा संतौर नंदा की चौकी की जमीन मनीष वर्मा की है। जिस पर सुभारती ने खरीदने का अग्रीमेंट किया था जिसमे लिखी शर्ते सुभारती की तरफ से फेल हो गई थी और अग्रीमेंट में लिखे चैक बाउंस हो गए थे। व सुभारती ने उनके बैंकों की देनदारी भी नहीं दी।
सुभारती की झाझरा की संपत्ति की कीमत भी 4 से 5 करोड़ से ऊपर नहीं है और उसमे गोल्डन फोरेस्ट का विवाद भी भी बताया जा रहा है। जिसके आज की मंदी की स्थिति में 1 से 2 करोड़ से ऊपर नहीं मिलेगा। लिहाजा देहरादून की आंच मेरठ पहुंचनी तय है।
पर्वतजन के पाठकों ने राज्य का 97 करोड़ सुरक्षित करने व सही खबर छापने के लिए जिसका असर भी हुआ है, के लिए पर्वतजन टीम को बधाई दी है।