स्टोरी(कमल जगाती, नैनीताल):-
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पूर्व के आदेश का पालन नही करने पर हल्द्वानी निवासी किसान नेता डॉ.गणेश उपाध्याय की अवमानना याचिका पर सुनवाई की। न्यायलें ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को निर्देश दिए हैं कि वे सैकेट्री डिपार्टमेंट ऑफ फूड एंड सिविल सप्लाई को दस दिन के भीतर पक्षकार बनाएं।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में आज सचिव कृषि द्वारा शपथपत्र पेश कर कहा गया कि, उन्हें इस अवमानना याचिका में पक्षकार गलत बनाया गया है, क्योंकि उस समय उन्हें कृषि सचिव का अतरिक्त चार्ज दिया गया था ।
याचिकाकर्ता ने अवमानना याचिका में सचिव डिपार्टमेंट ऑफ फूड एंड सिविल सप्पलाई को पक्षकार बनाना था, इन्हीं के द्वारा न्यायालय के आदेश का पालन होना था।
न्यायालय ने इससे सहमत होकर सचिव फूड एंड सिविल सप्लाई को पक्षकार बनाने के निर्देश दिए हैं । न्यायालय ने पूर्व में राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि किसानों को धान व गेहूं का भुगतान 48 घंटे से लेकर एक हफ्ते के भीतर कर दिया जाए, लेकिन अभीतक सरकार ने इस आदेश का पूर्ण रूप से पालन नही किया ।
याचिकाकर्ता का कहना है कि अभी तो गेहूं/धान का पुराना भुगतान लगभग 80 से 100करोड़, गन्ने का आजतक का 700 करोड रू, धान का पुराना 21 करोड़ रुप्या भुगतान होना बांकी है। न्यायालय ने 2018 में भी सरकार को निर्देश दिए थे कि किसानों को उनकी फसलों का न्यूनतम समथर्न मूल्य दिया जाय जो आजतक नही दिया गया।सरकार ने न्यायालय के आदेश की अवमानना की है।
याची के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली ने बताया कि अवमानना याचिका दायर होने के बाद गेहूं के 260 करोड़ के भुगतान में से 212 करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है ।