बेरोजगारों पर दोहरी मार। गांव लौटे प्रवासियों ने खोला बकरी पालन का धंधा, पड़ा मंदा

बेरोजगारों पर दोहरी मार। गांव लौटे प्रवासियों ने खोला बकरी पालन का धंधा, पड़ा मंदा

– प्रभुपाल सिंह रावत
रिखणीखाल प्रखंड के ग्राम नावेतली में जब से युवा बाहरी प्रदेशो से गाँव पहुंचे तो उन्होने सोचा कि पेट पालने के लिए कुछ रोजगार ढूढ ले तो अधिकांश युवाओ ने बकरी पालन का धन्धा अपनाया। किसी तरह किसी से कर्ज उधार लेकर बकरिया खरीदी। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना का लाभ जटिल कागजी प्रक्रिया के कारण नही मिल सका। अब उनके सिर पर दोहरा भार आ गया। एक तो जो कर्ज लिया था वह कहाँ से देना है तो जो बकरिया शेष है उन्हे इस गम्भीर रोग से कैसे बचाये। उपचार न मिलने से बकरियों का लगातार मरने का सिलसिला जारी है।

अब गाँव गये बेरोजगार युवा कैसे जीवन यापन करे। ये गाँव इतना बीहड है यहाँ किसी पशु चिकित्सक का पहुंचना आस-मान से तारे लाने के समान है। लोग जानकारी व सड़क मार्ग न होने के कारण ऐसे ही पिसते जा रहे है।

बता दें कि, गम्भीर रोग व बीमारी से बकरियो के मरने की खबर आयी है। जानकारी के अभाव मे व धन की कमी के कारण बकरी पालक कुछ भी नही कर सक रहे है। अभी भी कई बकरिया मरणासन्न की हालत में है। इन बेरोजगारो ने आपसी रिश्तेदारों से कर्ज उधार लेकर ये बकरिया खरीदी। ये मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना का लाभ कठिन कागजी कार्रवाई के पचडे मे उलझन से नही ले पाये। ये लोग बाहरी प्रदेश से नौकरी छोड़कर आये है। अब ये कर्ज के संकट में पड गये है। बकरियो का उपचार भी नही हो पा रहा है। मुआवजे की बात तो दूर है।

जिन बेरोजगार युवाओ की बकरिया इस गम्भीर रोग की चपेट मे आयी है उनमे मुख्य रूप से नन्दन सिंह गुसाई, पंचम सिंह रावत, महिपाल सिंह रावत, सोहन सिंह रावत आदि है। इनकी बकरिया गम्भीर बीमारी के कारण काल के मुह में समा गयी। अब इन्हे न तो पशुपालन विभाग द्वारा उपचार मिल रहा है न मुआवजा। सरकार को इस ओर ध्यान देना होगा।

Read Next Article Scroll Down

Related Posts