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कारनामा: उद्यान विभाग में भ्रष्टाचार की बू, उच्चाधिकारियों के कानों में नहीं रेंगी झूं

October 26, 2020
in पर्वतजन
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उद्यान विभाग में भ्रष्टाचार की बू, उच्चाधिकारियों के कानों में नहीं रेंगी झूं

– काश्तकारों के हितों की योजनाओं के साथ आखिर मजाक क्यों

रिपोर्ट- मनोज नौडियाल
कोटद्वार। “जय जवान जय किसान” ये नारा आपने अक्सर सुना ही होगा। अगर नहीं सुना तो चलो आपको बता दें कि, यह नारा सबसे पहले 1965 के भारत पाक युद्ध के दौरान भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने दिया था। इसे भारत का राष्ट्रीय नारा भी कहा जाता हैं, जो जवान एवं किसान के श्रम को दर्शाता है। लेकिन अभी हम बात कर रहें हैं किसानों की। नारें से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि, किसानों की श्रम की बात हो रही है यानी कि उसके द्वारा की जा रही मेहनत की। जिससे किसान अपनी आजीविका मजबूत कर सशक्त बन सके। उधर तब से लेकर अब तक तमाम सरकारें चाहे केन्द्र की हो या फिर राज्य की निरंतर प्रयास कर रही हैं कि देश का हर किसान किसी भी हाल में सशक्त हो सके, मजबूत हो सके।

इसी के मद्देनजर सरकारों द्वारा तमाम योजनाओं को भी धरातल पर उतारा गया है और लगातार उतारी भी जा रही हैं, लेकिन जब इन्हीं योजनाओं पर निजी हित को लेकर डाका डलने लगे तो क्या वाकई में धरातल पर ये सारी योजनाएं परवान चढ़ पाएंगी। कतई भी नहीं और कहा भी नहीं जा सकता। ऐसा ही एक मामला देखने को मिला उद्यान विभाग के उद्यान विशेषज्ञ के कार्यालय कोटद्वार में। यह मामला तब सामने आया जब सूचना अधिकार अधिनियम के तहत विभाग से किसानों के हितों को लेकर आयोजित इन तमाम योजनाओं से संबंधित सूचना ली गई। इन सूचनाओं में जो सामने आया यह सुनकर आप खुद हैरत में पड़ जाएंगे कि, आखिर किस तरह एक निजी फर्म को लाभ पहुंचाने को लेकर विभागीय उच्च अधिकारी व कुछ कर्मचारियों ने मिलकर सारे नियम कायदों का धत्ता बनाते हुए ताना बाना बुना। इस पूरे प्रकरण में विभागीय उच्च अधिकारी और निजी फर्म के बीच आपसी सांठ-गांठ है या फिर नहीं …….?

ये तो नहीं कहा जा सकता लेकिन इस पूरे प्रकरण ने विभागीय कार्यप्रणाली की पोल खोल कर रख दी है।
यह है पूरा मामला-

“कार्यालय उद्यान विशेषज्ञ कोटद्वार गढ़वाल” द्वारा दिनांक 7 मई 2018 को RKVY योजनाओं के अंतर्गत उच्च गुणवत्ता युक्त पुष्प ग्लेडियोलस बल्बों की निम्न प्रजातियां White Prosperity, Rose Supreme, Nova lux, Advance, Oscar, Rose Bee (बल्ब साइज 8/10 cm. अनिवार्य) की मांग for प्रति बल्ब निर्धारित दरें क्रमशः (१) – मै० उत्तराखंड सिड्स कार्पोरेशन डिग्री कॉलेज रोड़, कोटद्वार (२) – मै० सिद्धबली इंटर प्राइजेज नींबू चौड़ कोटद्वार (३) – मै० गढ़वाल एग्री सप्लायर शिबू नगर तड़ियाल चौक कोटद्वार से कि गयी। निम्न फर्मों से दर देने की अंतिम तिथि 22 मई 2018 रखा गया। इस क्रम में क्रमशः मै० उत्तराखंड सिड्स कार्पोरेशन डिग्री कॉलेज रोड़, कोटद्वार ने दिनांक 14 मई 2018 को, मै० सिद्धबली इंटर प्राइजेज नियर के प्राइड माॅल, तड़ियाल चौक, शिबू नगर कोटद्वार ने 12 मई 2018 को और मै० गढ़वाल एग्री सप्लायर नींबू चौड़ चौक कोटद्वार ने 10 मई 2018 को ग्लेडियोलस बल्ब प्रजाति Advance, Rose Supreme, Rose Bee के प्रति बल्ब की दरों का विवरण विभाग को दिया गया।

इसमें जो गौर करने वाली बात देखने को मिली तो एक फर्म द्वारा तो जीएसटी नंबर व पेन नंबर फर्म द्वारा दिया गया है। जबकि अन्य दो फर्मों के दर विवरण पत्र में जीएसटी व पेन नंबर कहीं अंकित नहीं किया गया है, और सबसे दिलचस्प बात जो देखने को मिली की ग्लेडियोलस आपूर्ति को लेकर दिए गए विभागीय पत्र में जो पता निम्न फर्म मै० सिद्धबली इंटर प्राइजेज और मै० गढ़वाल एग्री सप्लायर फर्म से सम्बन्धित दिया गया है। लेकिन जब फर्मों द्वारा दर विवरण का जवाब विभाग को आया तो निम्न दोनों फर्मों के पते में बड़ा बदलाव देखने को मिला। यानी कि इधर का उधर, उधर का इधर। अब इसे विभागीय गलती कहें या फर्म की या फिर कुछ और …….?

सवाल का उठना तो लाजमी है। यदि इस प्रकरण में विभागीय गलती मानी जाए तो फिर उक्त दोनों फर्मों से विवरण दर का जवाब कैसे आया। ये सोचने वाला विषय है। यदि फर्म की गलती कहें तो फिर सवाल और भी बड़ा हो जाता है क्योंकि इन दोनों ही फर्मों के दर विवरण पत्र में जीएसटी व पेन नंबर कहीं अंकित नहीं किया गया है और यदि मामला सेटिंग गेटिंग का कहें तो फिर कुछ नहीं कहा जा सकता। अभी तो बात महज प्रक्रिया की हो रही है उच्च गुणवत्ता युक्त पुष्प ग्लेडियोलस बल्ब की नहीं। हालांकि जो भी हो विभाग ने प्रक्रिया पूरी करते हुए दरों का तुलनात्मक विवरण करते हुए व्यक्तिगत और संयुक्त रूप से समाधान निकालते हुए मै० उत्तराखंड सिड्स कार्पोरेशन डिग्री कॉलेज रोड़, कोटद्वार को संस्तुति दे दी। जिसमें विभागीय एक उद्यान पर्यवेक्षक, व. प्र. अ. मुख्यालय और उद्यान विशेषज्ञ कोटद्वार शामिल रहे। विभाग


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