उत्तराखंड बनने पर जूनियर हाई स्कूल के प्रधानाध्यापकों की पदोन्नति का रास्ता बंद
अविभाजित उत्तर प्रदेश में जूनियर हाई स्कूल के प्रधानाध्यापकों की अगली पदोन्नति क्षेत्रीय प्रतिउप विद्यालय निरीक्षक के पद पर होती थी, उत्तराखंड अलग राज्य की मांग करते समय जूनियर हाई स्कूल के प्रधानाध्यापकों को जरा भी अंदेशा नहीं था कि, अलग राज्य बनने पर उनके पदोन्नति के रास्ते बंद हो जाएंगे उत्तराखंड में जूनियर प्र०अ० को सेवाकाल में दो ही पदोन्नति मिलती हैं
● प्राथमिक विद्यालय प्रधानाध्यापक अथवा सहायक अध्यापक जूनियर हाई स्कूल और नंबर
● प्रधानाध्यापक जूनियर हाई स्कूल
जबकि जूनियर के सहायक अध्यापक प्र०अ० जूनियर से कनिष्ट होने के बाद भी Lt में जाने पर सारे पदोन्नति की रास्ते खुल जाते हैं और इंटर कालेज के प्रधानाचार्य तक का रास्ता खुल जाता है। वहीं जू० हाई स्कूल के प्र०अ०,20- 25 वर्ष की सेवा पर एक ही पद पर कार्य करते सेवानिवृत्त हो जाते हैं। जू०हा० प्रधानाध्यापकों का कहना है कि, सरकार सहायक अध्यापक बेसिक को 10 % प्रधानाध्यापक बेसिक व सहायक अध्यापक जूनियर को 30 % एलटी में जाने का कोटा देती है तो प्रधानाध्यापक जूनियर को भी उप शिक्षा अधिकारी अथवा हेड मास्टर हाई स्कूल के पदों पर पदोन्नति का कोटा देना चाहिए।
प्रधानाध्यापक जूनियर की अगली पदोन्नति से सरकार व विभाग को प्राथमिक शिक्षा में लंबी सेवा के अनुभव का लाभ मिलेगा साथ ही सरकार के ऊपर किसी भी प्रकार का आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा उक्त प्रधानाध्यापक उस वेतनमान पर कई वर्षों से कार्यरत हैं प्रधानाध्यापक की अगली पदोन्नति होने से पद रिक्त होने से सहायक अध्यापक को भी पदोन्नति का लाभ मिलेगा इससे शिक्षकों में रुचि, सजगता व उत्साह बना रहेगा सरकार कुंठित करने वाले काम को बंद करें और प्रधानाध्यापक जूनियर हाई स्कूल को अगली पदोन्नति का अवसर प्रदान करें।