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आपदा विभाग में लाखों का गबन। भाजपा नेता जुगरान ने मुकदमे की मांग के लिए सीएम को सौंपा शपथ पत्र

September 24, 2020
in पर्वतजन
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आपदा विभाग में लाखों का गबन। भाजपा नेता जुगरान ने मुकदमे की मांग के लिए सीएम को सौंपा शपथ पत्र

वरिष्ठ भाजपा नेता रविन्द्र जुगरान आपदा प्रबंधन विभाग में हो रहे घोटालों को एक-एक कर साक्ष्यों सहित सार्वजनिक कर रहे हैं। जुगरान ने एक बार फिर से मुख्यमंत्री, मुख्यसचीव, अपर मुख्यसचीव कार्मिक, वित्त सचिव और आपदा प्रबंधन के प्रभारी सचिव और अपर सचिव को शपथपत्र में साक्ष्यों सहित शिकायत लिखकर दी है कि, आपदा प्रबंधन विभाग में एक संविदा कार्मिक डॉ के.एन. पान्डे की पहले तो फर्जी पुनियुक्ति की गयी और बाद में उक्त कार्मिक के अनुबंध में जालसाजी और ओवरराइटिंग करके वेतन को 14,000 रुपय प्रतिमाह बढा दिया गया। पहले तो अनुबंध में डॉ केएन पान्डे का वेतन नियमविरूध 1,23000 एक लाख तेइस हजार निर्धारित किया गया और पुनर्नियूक्ती हो जाने के बाद अनुबंध में ओवरराइटिंग करके वेतन को सिधे 14,000 बढाकर 1,37,000 एक लाख सैंतीस हजार कर दिया गया।

जुगरान ने आरोप लगाया कि, यह एक सुनियोजित गबन है और IPC की धारा 420, 403 और 409 के तहत इस गबन में शामिल अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज किया जाये और डा. के. एन. पान्डे को दिये गये अवैध वेतन रुपय 15,00000 पंद्रह लाख की भी तत्काल रिकवरी की जाये।
जुगरान ने अपने शपथपत्र में कई गम्भीर आरोप लगाये हैं
1- मुख्यमंत्री जो कि विभागीय मंत्री भी हैं के संज्ञान में लाये बिना और उनकी अनुमती के बिना डा. के.एन. पान्डे की फर्जी पुनर्नियूक्ती की गयी।
2- मा. मंत्रिमंडल के निर्णय के विरूध यह पुनर्नियूक्ती की गयी। 26 अप्रैल 2018 को मा. मंत्रिमंडल ने आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के समस्त पदों को मृत संवर्ग का किया था, मृत संवर्ग के पद पर पुनर्नियूक्ती नहीं की जा सकती है।
3- कार्मिक विभाग के शासनादेश दिनांक 27 अप्रैल 2018 का उलन्घन करके और बिना कार्मिक विभाग की अनुमती के यह पुनर्नियूक्ती की गयी।
4- वित्त विभाग से वेतन निर्धारित कराये बिना और बिना वित्त विभाग की स्वीकृति के यह पुनर्नियूक्ती की गयी।
5- आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र की अधिशासी मंडल और शासी निकाय की बैठक में प्रस्ताव पास कराये बिना ही डा. के.एन. पान्डे की पुनर्नियूक्ती कर दी गयी।

जुगरान ने यह भी आरोप लगाया है कि, उन्होने इस प्रकरण पर अपना पहला शपथपत्र 03 जुलाई को दिया था, लेकिन उनके शपथपत्र के आरोपों की जाँच करने के लिये जाँच कमिटी गठित करने के बजाय विभागीय अधिकारियों ने अधिशासी निदेशक के पद पर कार्यरत संविदा कार्मिक डा. पियूष रौतेला को इस प्रकरण की जाँच सौंप दी। एक संविदा कार्मिक को शपथपत्र की जाँच किस आधार पर दी गयी, जुगरान ने यह भी आरोप लगाया कि आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों ने मा.प्रधानमंत्री कार्यालय के जाँच किये जाने के निर्देश, मा. मुख्यमंत्री कार्यालय के निर्देश, महामहिम राज्यपाल के कार्यालय के निर्देश और मुख्यसचीव के जाँच निर्देश की अवहेलना की गयी। जुगरान ने यह भी आरोप लगाया कि इस फर्जी पुनर्नियूक्ती को करने में डॉ पियूष रौतेला की पूरी भूमिका रही है और अनुबंध पत्र भी उन्हीं के हस्ताक्षर से जारी किया गया है।

इससे यह तो स्पष्ट है कि, अनुबंध पत्र में हेराफेरी करने और ओवर राइटिंग करने में डा. पियूष रौतेला की भी सहमती थी क्योंकि डा. के.एन. पान्डे को दिसंबर 2020 तक वेतन डा. पियूष रौतेला के द्वारा दिया गया।अब उन्ही डा. पियूष रौतेला को इस फर्जी पुनर्नियूक्ती और गबन के प्रकरण की जाँच सौपने का क्या औचित्य है, जाँच के नाम पर केवल दिखावा किया जा रहा है।

अब भाजपा नेता ने फिर से दूसरा शपथ पत्र दिया है और मुख्यमंत्री, मुख्यसचीव समेत सभी अधिकारियों से एक जाँच कमिटी गठित करने की मांग की है और सभी दोषी अधिकारियों पर फर्जी पुनर्नियूक्ती करने और सरकारी धन के सुनियोजित गबन करने के लिये IPC की धारा 420, 403 और 409 के तहत तत्काल मुकदमा दर्ज करने की मांग की है। जुगरान ने बताया कि यदि इस प्रकरण पर जाँच कमिटी गठित करके जाँच नहीं करायी जाति है तो वे जल्द ही इस प्रकरण पर मा. उच्च न्यायालय में वाद दायर करेंगे।

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