रिपोर्ट- भाविका बिष्ट
मानसिक स्वास्थ्य में हमारी भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक भलाई शामिल है। यह प्रभावित करता है कि हम कैसे सोचते हैं, महसूस करते हैं और कार्य करते हैं।
यह निर्धारित करने में भी मदद करता है कि हम तनाव को कैसे संभालते हैं, दूसरों से संबंधित होते हैं, और स्वस्थ विकल्प बनाते हैं।
बचपन और किशोरावस्था से लेकर वयस्कता तक, जीवन के हर चरण में मानसिक स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है।
पर क्या आप जानते हैं कि प्रदूषण भी हमारी मेंटल हेल्थ पर असर करता है?
एक स्टडी के मुताबिक जिस राज्य और शहर में ज्यादा प्रदूषण है, वहां के लोगों को हाई बीपी की समस्या सबसे ज्यादा होती हैl
प्रदूषण का इफ़ेक्ट सिर्फ इंसानों तक नहीं बल्कि जीव-जंतुओं पर भी हो रहा है l यह ना सिर्फ लंग्स हार्ट और स्किन को नुकसान पहुंचा रहा हैं, बल्कि यह आपके मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है जिससे कई तरह की समस्याएं होने लगी है।
प्रदूषण और मानसिक स्वास्थ्य का सीधा संबंध-
(Health News)
प्रमुख पर्यावरणीय प्रदूषकों (वायु प्रदूषकों, भारी धातुओं, आयनीकरण विकिरण [आईआर], ऑर्गनोफॉस्फेट कीटनाशकों, प्रकाश प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, पर्यावरणीय तबाही) और चिंता, मनोदशा और मानसिक सिंड्रोम सहित विभिन्न मानसिक स्वास्थ्य विकारों के बीच संबंध पर उभरते सबूत एकत्र किए गए हैं।
प्रदूषण में छोटी वृद्धि अवसाद और चिंता में महत्वपूर्ण वृद्धि से जुड़ी है। इसने गंदी हवा को बढ़ती आत्महत्याओं से भी जोड़ा है और संकेत दिया है कि प्रदूषित जगहों पर बढ़ने से मानसिक विकारों का खतरा बढ़ जाता है। अन्य शोधों में पाया गया है कि वायु प्रदूषण बुद्धि में “भारी” कमी का कारण बनता है और डिमेंशिया से जुड़ा हुआ है। 2019 में एक वैश्विक समीक्षा ने निष्कर्ष निकाला कि वायु प्रदूषण मानव शरीर में हर अंग को नुकसान पहुंचा सकता है।
वायु प्रदूषण का मानसिक स्थिति पर असर(Health Update)
वायु प्रदूषण फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है, जिससे अस्थमा और फेफड़ों के कैंसर जैसी स्थितियां पैदा होती हैं और यह हृदय को भी नुकसान पहुंचा सकता है। बहुत बाद में, शोधकर्ताओं ने पाया कि वायु प्रदूषण मस्तिष्क में भी परिवर्तन का कारण बनता है जो मानसिक बीमारी, डिमेंशिया, अल्जाइमर और सीखने की समस्याओं के जोखिम को बढ़ाता है। वायु प्रदूषण में मामूली वृद्धि भी अवसाद और चिंता से जुड़ी हुई है।
2019 की प्रक्रिया में पाया गया है की वायु प्रदूषण के उच्च स्तर के संपर्क में आने वाले लोगों के अवसाद, सिज़ोफ्रेनिया, द्विध्रुवी विकार या व्यक्तित्व विकार जैसी मानसिक बीमारी से पीड़ित होने की संभावना अधिक होती है।
जल प्रदूषण का मेंटल हेल्थ पर प्रभाव (Health News in Hindi)
यह कल्पना करना मुश्किल नहीं है कि आपका पानी पीने के लिए असुरक्षित है या बंद हो जाएगा, यह डर तनाव, चिंता या अवसाद में कैसे योगदान दे सकता है। लेकिन उभरते हुए वैज्ञानिक शोध यह भी बताते हैं कि एक सामान्य पेयजल प्रदूषक-सीसा-मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
ध्वनि प्रदूषण का मेंटल हेल्थ पर प्रभाव (Daily Health Updates)
ध्वनि प्रदूषण से विक्षेप और झुंझलाहट यानी चिड़चिड़ापन है, जो उत्पादकता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। अध्ययनों से पता चला है कि उच्च आवृत्ति शोर के संपर्क में आने की अवधि के आधार पर कार्यकर्ता उत्पादकता कम हो सकती है।
पर्सनेलिटी पर प्रदूषण का दुष्प्रभाव (Today Health News)
एक्सपर्ट के मुताबिक सांस संबंधी समस्या, नींद में गड़बड़ी , हवा में नजर आने वाली धुंध जिसकी वजह से रोशनी की कमी होती है जो मस्तिष्क में न्यूरोट्रांसमीटर्स राव को प्रभावित करता है.यह नर्वस सिस्टम को भी प्रभावित करता है.इसी के साथ ही ये एंजाइटी, डिप्रेशन, पर्सनैलिटी डिसऑर्डर और कम सहनशीलता जैसे विकारों को बढ़ाता हैl
इससे बचाव के लिए क्या कर सकते हैं?
बाहर निकलने से पहले एयर क्वालिटी चैक करें। व मास्क पहन कर ही बाहर निकलें।
दिमाग को हेल्दी रखने के लिए योग की मदद लें। इससे तनाव कम होगा।
अपनी डाइट और शारीरिक गतिविधियों पे ध्यान दें । ऐसे भोजन को अपनी रोज की डाइट मैं शामिल करें जो ब्रेन के लिए हेल्दी माने जाते हैं।
पर्याप्त नींद लेना भी आवश्यक है।