देहरादून।
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र नए मुख्यमंत्रियों की फजीहत करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं ।जो बाते पार्टी के अंदर पार्टी फोरम पर होनी चाहिए उसे वह सार्वजनिक रूप से मीडिया, अखबारों में कर रहे हैं।इससे जो भाजपा की छवि सुधारने की रणनीति हैं उस पर त्रिवेंद्र कहि न कहि पलीता लगा रहे हैं ।
त्रिवेंद्र के जिन विवादित फैसलों कि वजह से उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाया गया था। मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते समय तीरथ सिंह रावत ने त्रिवेंद्र सरकार के उन्हीं फैसलों को बदलने की बात तो कही लेकिन सत्ता में बैठे त्रिवेंद्र के वफादार मुख्य सचिव ओमप्रकाश के चलते तीरथ एक भी फैसले को न पलट सके।और 114 दिन के अल्प कार्यकाल में ही उन्हें इस्तीफा देना पड़ा ।
नवनियुक्त मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी त्रिवेंद्र सरकार के फैसलों पर असहज महसूस कर रहे हैं और कोई भी एक्शन नहीं ले पा रहे हैं ।
वही त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने इन फैसलों का बचाव करते नहीं थक रहे हैं।जगह जगह घूम कर मीडिया में बयानबाज़ी कर के अपने फैसलों का बचाव कर रहे हैं । जिससे संगठन और सरकार को असहज महसूस हो रहा हैं ।
भू-कानून में बदलाव की मांग पर त्रिवेंद्र का कहना है कि, सरकार को इस मामले में कोई फैसला करने से पहले पूरे हालात को गंभीरता से समझना होगा।
देवस्थानम् बोर्ड का बचाव करते हुए देशभर के अन्य धार्मिक स्थलों की आय का हवाला देकर त्रिवेंद्र कहते हैं कि, उनकी तुलना में उत्तराखंड के धामों का आय न के बराबर हैं। अन्य धामों का संचालन बोर्ड ही कर रहा है।त्रिवेंद्र का कहना हैं कि,आने वाले समय में यह बोर्ड धामों के विकास में मील का पत्थर साबित होगा।
अब देखना यह होगा कि,धामी सरकार बस मौन हुए त्रिवेंद्र के फैसलों पर ही चलती रहेगी या तीरथ सिंह रावत ने जैसा कहा था कि, त्रिवेंद्र सरकार के कई फैसलों को पलटा जाएगा ,उसे आगे बढ़ाते हुए उस पर अमल करेगी ।