त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड मे फंसे हुए गुजरातियों को 25 बसें रवाना करके उनके घर तक पहुंचाया लेकिन, वापसी में गुजरात में जो उत्तराखंडी फंसे हुए थे, उनको वहीं छोड़ दिया। उनमें से साठ लोग किसी तरह स्थानीय जिलाधिकारी से अपने संपर्क-संबंधों का इस्तेमाल करके कुछ बसों में बैठने मे कामयाब रहे तो उनको रात के 1:00 बजे हरियाणा बॉर्डर पर पटक दिया गया तथा कह दिया कि आगे पैदल जाओ या अपनी गाड़ी से जाओ।
देखिए वीडियो
भूखे प्यासे उत्तराखंड के लोग हताश और निराश होकर उत्तराखंड सरकार के अधिकारियों और नेताओं को फोन करते रहे लेकिन उन्हें एक ही जवाब मिला,” कल सुबह 9:00 बजे के बाद फोन करना, अभी सब सोए हुए हैं।”
इन लोगों ने पुलिस से भी मदद मांगी लेकिन किसी ने भी मदद नहीं की।
यह लोग पैदल ही सारी रात दिल्ली की तरफ बढ़ते रहे। इनमें से रोहित नाम के एक युवक का एक्सीडेंट हो गया और वह टूटी हुई टांग लेकर ही धीरे-धीरे आगे बढ़ता रहा। इन्होंने अपनी समस्या को पर्वतजन से साझा किया और देहरादून निवासी इंजीनियर पुरुषोत्तम सिंह को भी घटना की जानकारी दी और वीडियो बनाकर उपलब्ध कराया।
इंजीनियर पुरुषोत्तम सिंह द्वारा दिया गया वीडियो हम आपको भी दिखा रहे हैं। आप भी देखिए लोगों में इस कदर गुस्सा है।
उत्तराखंड सरकार लगता है पूरी तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
द्वारा दी गई मोहलत की चंद सांसों पर चल रही है।
यही कारण है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड से गुजरात के लोगों को 25 बसों में भेज कर रवाना किया लेकिन विभिन्न राज्यों में फंसे हुए उत्तराखंड के लोगों को वापस लाने के लिए सरकार के पास संसाधनों का टोटा पड़ गया।
प्रशासन का आश्वासन
जब बसों को गुजरात भेजे जाने पर सवाल खड़े हुए तो अपनी किरकिरी बचाने के लिए त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एलान करा दिया कि वापसी में इन बसों से उत्तराखंड के लोग वापस आ सकेंगे किंतु यहीं पर उत्तराखंड के लोगों से बेहूदा मजाक कर दिया गया।
त्रिवेंद्र सिंह रावत के ऐलान पर भरोसा करके गुजरात और अन्य राज्यों के लोग इन बसों में बैठने के लिए अपने घरों से निकल पड़े,लेकिन हद तब हो गई जब लगभग डेढ सौ लोगों को वहीं छोड़़ दिया। मात्र साठ लोग वहां के जिलाधिकारी से अपने संपर्कों का इस्तेमाल करके कुछ बसों मे बैठने कामयाब हुए लेकिन इन बसों ने आधी रात को इन साठ लोगों को भी हरियाणा बॉर्डर पर लाकर छोड़ दिया।
लोगों में त्रिवेंद्र सिंह रावत की इस हरकत के कारण बेहद गुस्सा है। यह त्रिवेंद्र सिंह रावत की गैर जिम्मेदारी और आपराधिक लापरवाही ही है कि उनके अफसर भी उनकी बात नहीं सुनते अथवा वह अपने अफसरों को स्पष्ट आदेश ही नहीं देते।
उदाहरण के तौर पर गुजरात में फंसे रुद्रप्रयाग के सैकड़ों लोगों को वहां के मुख्य विकास अधिकारी तक ने कहा कि उन लोगों को वापस लाने के लिए सरकार ने बसें भेज दी हैं। किंतु जब लोग घरों से निकलकर इन बसों को पकड़ने के लिए पहुंचे तो इन्हें नहीं बिठाया गया। ना ही गुजरात सरकार से यहां के अधिकारियों ने कोई प्रभावी संपर्क किया। नतीजा यह रहा कि यह लोग गुजरात में ही छूट गए।
लोगों में उत्तराखंड सरकार के प्रति बेहद नाराजगी है और आप वीडियो में भी देख सकते हैं कि लोग किस तरह से गालियां देकर अपना गुस्सा निकाल रहे हैं।
त्रिवेंद्र सरकार के इस नकारा पन से न सिर्फ प्रवासी उत्तराखंडियों में बल्कि उत्तराखंड के लोगों में भी बेहद गुस्सा है।
गुजरात में रहने वाले रुद्रप्रयाग के इन लोगों को वापस लाने के लिए रुद्रप्रयाग के कुछ समाजसेवी भी लगातार प्रशासन से संपर्क में थे।
ऐसे सैकड़ों नाम बताए थे प्रशासन को
लोगों ने रुद्रप्रयाग के प्रशासन को लगातार संपर्क करके गुजरात में फंसे लगभग डेढ़ सौ लोगों को निकालने के लिए बाकायदा उन लोगों के नाम और फोन नंबर तक प्रशासन को उपलब्ध करा दिए थे।
प्रशासन ने उन्हें आश्वासन भी दिया था लेकिन ऐसी कोई मदद नहीं की। जिससे वह लोग गुजरात गई उत्तराखंड की गाड़ियों में बैठकर भी उत्तराखंड नही आ सके। त्रिवेंद्र सिंह रावत और उनके अधिकांश अफसर मात्र फेसबुक और व्हाट्सएप पर मौजूद हैं, जबकि जनता सड़कों पर धक्के खा रही है। लोग खुलकर गालियां दे रहे हैं कि आखिर इस व्यक्ति को किसने हमारा सीएम बना दिया !
बहरहाल यह वही पब्लिक है जो समय आने पर गाय के ऑक्सीजन छोड़ने की बातों मे आ जाती है। और त्रिवेंद्र सिंह रावत जैसे गोबर गणेशों को अपने सर पर बिठा देती है।