क्राइम स्टोरी के संपादक राजेश शर्मा को हाई कोर्ट से जमानत मिल गई है।
राजेश शर्मा को पिछले दिनों पुलिस ने बेहद गैर जिम्मेदाराना ढंग से आधी रात को घर से गिरफ्तार करके जेल भेज दिया था।
यही नहीं थाने में लाकर पुलिस ने उनके साथ बेहद अभद्रता भी की थी।
लगभग 1 माह से वरिष्ठ पत्रकार राजेश शर्मा जेल में थे। हाई कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें निजी मुचलके पर जमानत दे दी, साथ ही आदेश दिए कि उन्हें आज ही रिहा किया जाए।
गौरतलब है कि झारखंड में प्रभारी रहने के दौरान अमृतेश चौहान नाम के भाजपा नेता ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर आरोप लगाया था कि उनके सहयोगी हरेंद्र रावत ने नोटबंदी के दौरान विभिन्न खातों में पैसे लिए हैं।
अमृतेश चौहान ने पैसे जमा करने की स्लिप तथा विस्तृत जानकारी राजेश शर्मा को दी तो राजेश शर्मा ने इस पर खबर प्रकाशित की थी।
अमृतेश चौहान ने इससे संबंधित दस्तावेज देहरादून में राजेश शर्मा सहित कई अन्य मीडिया से जुड़े लोगों को भी प्रदान किए थे।
इस खबर पर हरेंद्र रावत ने पुलिस में शिकायत की थी और पुलिस ने बेहद गैर जिम्मेदाराना ढंग से सीधे राजद्रोह और गैंगस्टर जैसे मुकदमों में तीन पत्रकारों को अभियुक्त बना दिया था।
जिसमें से राजेश शर्मा को तो पुलिस ने रात को घर से गिरफ्तार कर लिया था लेकिन पत्रकार उमेश जे कुमार और शिव प्रसाद सेमवाल को हाईकोर्ट से अरेस्टिंग स्टे मिल गया था।
साथ ही सरकार के इस कार्य को लेकर हाईकोर्ट ने अपने आदेश में टिप्पणी भी की थी कि “इन गंभीर धाराओं को लगाने का जब सरकार से कारण पूछा गया तो फिर सरकार इस पर जवाब नहीं दे पाई।”
बहरहाल पत्रकारिता पर दमन को लेकर और राजेश शर्मा को गलत ढंग से गिरफ्तार करने के विरोध में देशभर के पत्रकारों ने विरोध प्रदर्शन किया था तथा ऑनलाइन धरना भी दिया था।
खबर प्रकाशित करने पर अपने भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए त्रिवेंद्र सरकार पत्रकारों पर तो राजद्रोह के मुकदमे लगा दे रही है लेकिन त्रिवेंद्र सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए भाजपा सरकार के ही विधायक उत्तराखंड से लेकर दिल्ली में लगातार केंद्रीय नेताओं से शिकायत कर रहे हैं।