दीपक फर्सवाण
सरकार की योजनायें और घोषणायें किसी फिल्मी ड्रामे से कम नहीं होतीं। खासकर योग को लेकर उत्तराखण्ड में लफ्फाजी के अलावा और कुछ नहीं हो रहा है।
पांच साल में 15 घोषणायें, एक भी पूरी नहीं
पिछले 5 वर्ष के दौरान राज्य सरकार ने उत्तराखण्ड को योग डेस्टिनेशन बनाने के समेत कुल 15 घोषणायें कीं लेकिन उनमें से एक भी पूरी नहीं हुई हैं। इन कोरी घोषणाओं के लिये सिर्फ मौजूदा भाजपा सरकार को ही दोषी नहीं ठहराया जा सकता। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने तो बाकायदा एक कार्ययोजना बनाकर योग को प्रोत्साहित करने का ऐलान किया था। अब सरकार की सारी बातें हवाई निकलीं। देवभूमि उत्तराखण्ड में योग आज भी हाशिये पर है। योग के प्रचार-प्रसार के लिये बड़ी-बड़ी बातें हुईं पर ठोस प्रयास नहीं।
वर्ष 2016 में योग दिवस पर तत्कालीन सीएम हरीश की घोषणा _
1_ राज्य के बीस हजार योग प्रशिक्षितों को देंगे रोजगार।
2_ योग एवं प्राकृतिक चिकत्सा पद्धति के प्रचार प्रसार की बनेगी नीति।
3_ सभी आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में रोजाना प्रात: एक घण्टा होगा योग।
4_ अस्पतालों में योग अनुदेशकों की होगी नियुक्ति।
5_ प्रत्येक नगर इकाई में विकसिक होगा एक योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा पार्क।
6_ उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में होगी योग एवं प्राकृतिक चिकतथ्सा संकाय की स्थापना।
7_ माध्यमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा को एच्छिक विषय के रूप में करेंगे शामिल।
8_ प्रत्येक जिले में स्थापित होगा एक योग ग्राम।
9_ योग घ्यान केन्द्र की स्थापाना के लिये वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली योजना के तहत मिलेगा अतिरिक्त अनुदान।
10_ बड़े रिसार्ट व होटलों के निर्माण को स्वीकृति से पहले उनमें योग विंग खोले जाने की होगी अनिवार्यता।
11_ ऋषिकेश और टनकपुर में बनेंगे योग के बेस कैंप।
12_ हरिद्वार वीआईपी घाट और गांधी पार्क देहरादून में नियमित रूप से होगा योगा।
वर्ष 2017 में योग दिवस पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र की घोषणा _
1_ उत्तराखण्ड को योग का बड़ा केन्द्र बनाया जायेगा।
2_ स्कूल से विश्वविद्यालय तक के पाठ्यक्रम में शामिल होगा योग।
3_ योग के क्षेत्र में सृजित होंगे रोजगार के अवसर।